बेदखल की डायरी का दखल अहा जिंदगी पत्रिका यानी प्रिंट मीडिया में (अविनाश वाचस्‍पति)

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  • अविनाश वाचस्पति
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    और बेदखल के दखल से
    हों रूबरू
    अहा जिंदगी मासिक पत्रिका में
    बेदखल की डायरी से
    जो मनीषा पांडे की है
    जिसकी राजकिशोर जी ने
    स्‍वांत: सुखाय स्‍तंभ में
    भरपूर चर्चा की है

    आप भी जानें
    और जो करें महसूस
    सभी से बांट लें।

    4 टिप्‍पणियां:

    1. राजकिशोर जी की लेखनी के क्या कहने। औरत को लेकर खूब लिखा है उन्होंने। मनीषा पांडे के तर्क जागरूक करते हैं। सभी को ये पोस्ट पढ़नी चाहिए

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    2. हम तो मनीषा जी के ब्लोग पर पढ़ कर ही उनके प्रंशसक बन गये हैं।

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    3. अविनाश भाई पढ़ा ही नहीं गया और विस्तार दी जिए यदि तक नीक अनुमति देती है.धन्यवाद.

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    4. सुरेश जी अवश्‍य पढ़ा जाएगा। जितनी भी इमेज लगाई जाती हैं सब पढ़ी जाती हैं। आप क्लिक करके उसे नये टैब में खुलने दीजिए या राइट क्लिक करके ओपन इन न्‍यू टैब पर क्लिक कीजिए। उसके बाद दोबारा से इमेज पर क्लिक कीजिए या कन्‍ट्रोल के साथ प्‍लस का साइन दबाइये। अवश्‍य पढ़ पायेंगे।

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