दिल्‍ली ब्‍लॉगर मिलन : सबको प्रसन्‍न देख कर प्रसन्‍न हूं (अविनाश वाचस्‍पति)

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • सबकी खुशी में अपनी खुशी।

    न यहां पर कोई चित्र है
    न यहां पर कोई पोस्‍ट है
    बस दे रहा हूं लिंक सभी
    जिससे सब पढ़ें दिल से।
    अजय कुमार झा
    आज अजय जी के ही चर्चे और धूम है
    देख पढ़ कर मिल कर सब रहे झूम हैं

    यशवंत मेहता

    लोग करते हैं काल मिस या मिस काल
    यशवंत जी ने लंच मिस करके कर दिया कमाल।


    विनोद कुमार पांडेय


    कविता कहते हैं अब खरी खरी
    जरा नहीं डरते हैं
    लोग हंसेंगे पेट भर के
    तो सो जायेंगे
    फिर टिप्‍पणी कैसे आप पायेंगे।

    सतीश सक्‍सेना


    खर्चे की ही रही सोचते, खा भी नहीं पाए
    जाना चाहते थे आजाद भवन में जा भी नहीं पाए
    फिर भी खूब पाया और खूब खाया
    जानना चाहते हैं तो सतीश सक्‍सेना से मिल आएं।


    एम वर्मा

    वर्मा जी ने तो मचा दिया धमाल
    सबसे बाद में पहुंचे थे वे
    पर चित्र उनके धुल कर
    सबसे पहले सूख गए।

    अजित वडनेरकर

    राजकमल से छप रहा है शब्‍दों का सफर
    पुस्‍तक मेले में मित्रों का मिलना।

    डॉ. टी एस दराल

    मिलने की चाह खींच कर ले आई डॉक्‍टर साहब को
    और वे चित्र हमारे खींच कर इतने ले गए
    जीत गए वे और हम हार कर भी खुश हो गए।

    कविता वाचक्‍नवी


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    19 टिप्‍पणियां:

    1. आज तो बस सबसे मिले और जबसे घर आये बस "दिल्ली ब्लोगर मीट" के बारे में ही पढ रहें है, वाकई सब बहुत खुश है, अजय जी की तो जितनी तारीफ़ करी जाये कम है, आपके साथ रह कर भी बहुत कुछ जाना, बहुत बहुत शुभकामनायें

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    2. अब क्या कहें, पढ़ कर ही वहां के हाल जान सकते हैं।

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    3. अफसोस कि हम वहाँ न थे।

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    4. मैं भी सबको प्रसन्न देख...प्रसन्न हूँ...

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    5. वाह वाह!! प्रसन्नता बनी रहे महाराज!! आप हो जहाँ, प्रसन्नता है वहाँ.

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    6. बस ऐसे ही हँसी खुशी चलती रहे यह यात्रा...एक अनोखा स्नेह का बंधन है जो और मजबूत होता जा रहा है..

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    7. महफूज भाई अगली बार सबको देख कर प्रसन्न नही होना बल्कि सबके साथ होना है..

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    8. मन प्रसन्न हुआ।

      चाहते हुए भी अपने न आ पाने पर, अफ़सोस है।
      अब तो केवल कसमसा सकता हूँ :-)

      खैर, अगली बार फिर कभी

      बी एस पाबला

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    9. महफूज़, दीपक, पाबला जी, द्विवेदी जी, आप लोग भले ही न आ पाए हों लेकिन दिल में तो सबके हैं।
      फिर सही।
      अविनाश जी , मिलने की प्यास और आस बनी रहे , तो क्या कहने।

      फिलहाल तो इतना ही की इस मुलाकात में सिर्फ और सिर्फ आनंद था , और आने वाली होली की मस्ती थी ।

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    10. दिलवाले ब्लागरों से दिल्ली मे नही मिल पाने का हमेशा अफ़सोस रहेगा।खैर फ़िर कभी आयेंगे और सबसे मिल लेंगे,इतनी जल्दी टपकने वाले पके हुये आम नही है हम्।

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    11. मैं तो अभी, लखनऊ पहुँच कर भी शायद अपना दिल, दिल्ली में ही छोड़ आया. आप लोगों का स्नेह मुझे यहाँ ज्यादा टिकने नहीं देगा. जल्द आऊँगा.
      हाँ, बिन बुलाए को इतना प्यार देने का शुक्रिया.

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    12. @ सर्वत एम.

      बिन बुलाया कोई नहीं है
      पूरे जग को खुला आमंत्रण सदा है रहा
      देते हुए विदा सबका दिल दुखता है सदा
      आपसे जो हमारी शिकायत है
      आप जानते हैं
      मुझे मालूम है अगली बार
      आप शिकायत का मौका नहीं देंगे।

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    13. हम भी प्रसन्न हुए आपको और आपके दिये गये लिंक्स वाले ब्लोग पढ़कर!

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    14. Khoob badhiya link saheje hain. ab anchhape chitron ki farmayish hai bas. in links par lagaye gaye chitra hum ghar ja kar sahej lenge.
      Thanks.

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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