सबकी खुशी में अपनी खुशी।
न यहां पर कोई चित्र है
न यहां पर कोई पोस्ट है
बस दे रहा हूं लिंक सभी
जिससे सब पढ़ें दिल से।
अजय कुमार झा
आज अजय जी के ही चर्चे और धूम है
देख पढ़ कर मिल कर सब रहे झूम हैं
यशवंत मेहता
लोग करते हैं काल मिस या मिस काल
यशवंत जी ने लंच मिस करके कर दिया कमाल।
विनोद कुमार पांडेय
कविता कहते हैं अब खरी खरी
जरा नहीं डरते हैं
लोग हंसेंगे पेट भर के
तो सो जायेंगे
फिर टिप्पणी कैसे आप पायेंगे।
सतीश सक्सेना
खर्चे की ही रही सोचते, खा भी नहीं पाए
जाना चाहते थे आजाद भवन में जा भी नहीं पाए
फिर भी खूब पाया और खूब खाया
जानना चाहते हैं तो सतीश सक्सेना से मिल आएं।
एम वर्मा
वर्मा जी ने तो मचा दिया धमाल
सबसे बाद में पहुंचे थे वे
पर चित्र उनके धुल कर
सबसे पहले सूख गए।
अजित वडनेरकर
राजकमल से छप रहा है शब्दों का सफर
पुस्तक मेले में मित्रों का मिलना।
डॉ. टी एस दराल
मिलने की चाह खींच कर ले आई डॉक्टर साहब को
और वे चित्र हमारे खींच कर इतने ले गए
जीत गए वे और हम हार कर भी खुश हो गए।
कविता वाचक्नवी
पसंद चटकाना आपका अधिकार है
और आपकी राय जानना हमारा।
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दिल्ली ब्लॉगर मिलन : सबको प्रसन्न देख कर प्रसन्न हूं (अविनाश वाचस्पति)
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
Labels:
दिल्ली ब्लॉगर मिलन,
मानस के मोती
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आज तो बस सबसे मिले और जबसे घर आये बस "दिल्ली ब्लोगर मीट" के बारे में ही पढ रहें है, वाकई सब बहुत खुश है, अजय जी की तो जितनी तारीफ़ करी जाये कम है, आपके साथ रह कर भी बहुत कुछ जाना, बहुत बहुत शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंअफसोस कि हम वहाँ न थे।
जवाब देंहटाएंअब क्या कहें, पढ़ कर ही वहां के हाल जान सकते हैं।
जवाब देंहटाएंअफसोस कि हम वहाँ न थे।
जवाब देंहटाएंमैं भी सबको प्रसन्न देख...प्रसन्न हूँ...
जवाब देंहटाएंMahfooz ali ji aapse na mil pane ka bada afsos hei
जवाब देंहटाएंसभी पोस्ट पढ़ी धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंcongratulations 4 success of blogger's Meet at Delhi....
जवाब देंहटाएंMAHAVEER B. SEMLANI
ajit wadnerkar ji ne mere layak sabse sahi bat kahi hai
जवाब देंहटाएंवाह वाह!! प्रसन्नता बनी रहे महाराज!! आप हो जहाँ, प्रसन्नता है वहाँ.
जवाब देंहटाएंबस ऐसे ही हँसी खुशी चलती रहे यह यात्रा...एक अनोखा स्नेह का बंधन है जो और मजबूत होता जा रहा है..
जवाब देंहटाएंमहफूज भाई अगली बार सबको देख कर प्रसन्न नही होना बल्कि सबके साथ होना है..
जवाब देंहटाएंमन प्रसन्न हुआ।
जवाब देंहटाएंचाहते हुए भी अपने न आ पाने पर, अफ़सोस है।
अब तो केवल कसमसा सकता हूँ :-)
खैर, अगली बार फिर कभी
बी एस पाबला
महफूज़, दीपक, पाबला जी, द्विवेदी जी, आप लोग भले ही न आ पाए हों लेकिन दिल में तो सबके हैं।
जवाब देंहटाएंफिर सही।
अविनाश जी , मिलने की प्यास और आस बनी रहे , तो क्या कहने।
फिलहाल तो इतना ही की इस मुलाकात में सिर्फ और सिर्फ आनंद था , और आने वाली होली की मस्ती थी ।
दिलवाले ब्लागरों से दिल्ली मे नही मिल पाने का हमेशा अफ़सोस रहेगा।खैर फ़िर कभी आयेंगे और सबसे मिल लेंगे,इतनी जल्दी टपकने वाले पके हुये आम नही है हम्।
जवाब देंहटाएंमैं तो अभी, लखनऊ पहुँच कर भी शायद अपना दिल, दिल्ली में ही छोड़ आया. आप लोगों का स्नेह मुझे यहाँ ज्यादा टिकने नहीं देगा. जल्द आऊँगा.
जवाब देंहटाएंहाँ, बिन बुलाए को इतना प्यार देने का शुक्रिया.
@ सर्वत एम.
जवाब देंहटाएंबिन बुलाया कोई नहीं है
पूरे जग को खुला आमंत्रण सदा है रहा
देते हुए विदा सबका दिल दुखता है सदा
आपसे जो हमारी शिकायत है
आप जानते हैं
मुझे मालूम है अगली बार
आप शिकायत का मौका नहीं देंगे।
हम भी प्रसन्न हुए आपको और आपके दिये गये लिंक्स वाले ब्लोग पढ़कर!
जवाब देंहटाएंKhoob badhiya link saheje hain. ab anchhape chitron ki farmayish hai bas. in links par lagaye gaye chitra hum ghar ja kar sahej lenge.
जवाब देंहटाएंThanks.