एक अकेली मैं हूँ और साथ मेरे मेरी तन्हाई

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  • आकाँक्षा गर्ग ( Akanksha Garg )
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  • एक अकेली मैं हूँ और साथ मेरे मेरी तन्हाई
    रात घिरी निस्तब्ध मगर मुझे नींद ना आई
    दिलो को चीरते हैं खामोशियों के पसरे सन्नाटे
    खोया खोया चाँद भी गुमसुम ख़ामोशी छाई !


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    2 टिप्‍पणियां:

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