हरियाणा में सिनेमा संस्कृति के लिये हर संभव प्रयास किये जाने चाहियें – कुमारी शैलजा
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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द्वितीय हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह आरंभ
भारत सरकार की आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन तथा पर्यटन मंत्री कुमारी शैलजा ने आज एक भव्य किंतु गरिमामय समारोह में द्वितीय हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह का शुभारंभ किया। डी ए वी कॉलेज फॉर गर्ल्स परिसर में आयोजित उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा यह फिल्मोत्सव हरियाणा में फिल्म संस्कृति के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। यह सही है कि देश में हरियाणा कृषि के कारण जाना जाता है संस्कृति के कारण नहीं। खुशी की बात है कि इस फिल्मोत्सव से भारत और दुनिया भर में हरियाणा की एक नई छवि विकसित हो रही है। उन्होंने इस शुरूआत को साहसिक और ऐतिहासिक बताते हुये कहा कि हरियाणा में अलग-अलग छह संस्कृतियां साथ-साथ रहती हैं। यह सिनेमा के विकास के लिये एक अच्छी बात है। उन्होंने आश्वासन दिया कि एक मंत्री के रूप में वे हरियाणा में फिल्म-संस्कृति के विकास के लिए हर संभव कोशिश करेंगी।
उद्घाटन समारोह के बाद आयोजित एक विशेष संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि फिल्म एप्रीसियेशन कोर्स से नई पीढ़ी में भारतीय और विश्व सिनेमा की बेहतर समझ विकसित होगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इससे भारतीय मनोरंजन उद्योग में रोजगार की बढ़ती संभावनाओं का लाभ छात्र-छात्राओं को मिलेगा। उन्होंने कहा कि वे निजी स्तर पर भी इस फिल्मोत्सव के लिये धन जुटाने का प्रयास करेंगी।
डी ए वी कॉलेज फॉर गर्ल्स की प्रिंसीपल डॉ. सुषमा आर्य ने सभी का स्वागत करते हुये कहा कि ऐसे फिल्मोत्सव के आयोजन के लिये बहुत बड़े पैमाने पर संसाधनों की जरूरत होती है। कॉलेज ने सीमित संसाधनों में इतना बड़ा फेस्टिवल आयोजित करके सचमुच एक नई मिसाल पेश की है।
फेस्टिवल के निदेशक अजित राय ने यमुना नगर के नागरिकों को धन्यवाद देते हुये कहा कि उनके सहयोग और समर्थन के कारण ही इतना बड़ा समारोह आयोजित हो सका है। उन्होंने कहा कि सिनेमा की दुनिया हवाई जहाज और फाइव स्टार से नीचे नहीं उतरती। एक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के आयोजन में करोड़ों रुपये लगते हैं और सैकड़ों लोग महीनों काम करते हैं। उन्होंने कहा कि हमने दूसरे साल एक पूर्ण रूप से व्यवस्थित फेस्टिवल का ढांचा खड़ा कर दिया है।
सुप्रसिद्ध फिल्मकार के. बिक्रम सिंह ने सिनेमा को बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण कला बताते हुये कहा कि इसमें संगीत, नृत्य, रंगमंच, चित्रकला सहित सभी कलायें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा ने सिनेमा के क्षेत्र में अभी तक कोई ऐसा महत्वपूर्ण काम नहीं किया है जिसका उल्लेख किया जा सके। यह समारोह इस दिशा में सोचने की पहल करेगा।
सुप्रसिद्ध निर्देशक एवं लेखक रंजीत कपूर ने कहा कि जब पहली बार राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के छात्र के रूप में 1974 में मिट्टी की गाड़ी नाटक लेकर वे यमुना नगर आये थे तब और अब में जमीन आसमान का फर्क है। उन्होंने कहा कि हमें हर बात के लिये सरकारों पर निर्भर नहीं रहना चाहिये। यह फेस्टिवल कई नई उम्मीदें जगाता है।
इस अवसर पर कॉलेज की छात्राओं ने हरियाणवी आर्केस्ट्रा, हरियाणवी लोकगीत एवं हरियाणवी नृत्य के आकर्षक कार्यक्रम पेश किये। उद्घाटन समारोह के बाद द्वितीय हरियाणा फिल्म फेस्टिवल की अफगानिस्तान की फिल्म ओसामा (निर्देशक सिद्धिक बर्मक) दिखाई गई।
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उन्होंने आश्वासन दिया कि एक मंत्री के रूप में वे हरियाणा में फिल्म-संस्कृति के विकास के लिए हर संभव कोशिश करेंगी।
जवाब देंहटाएंकरे जी खुब करे हमे क्या, हमे कोन सा हीरो बनाना है:)
बढ़िया प्रयास..क्षेत्रीय फिल्म विकास के लिए एक सराहनीय प्रयास..
जवाब देंहटाएंसही दिशा में कदम
जवाब देंहटाएंक्रिसमस पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई।
जवाब देंहटाएंजानकर अच्छा लगा .. क्रिसमस की बहुत बहुत बधाई !!
जवाब देंहटाएं'यह सही है कि देश में हरियाणा कृषि के कारण जाना जाता है संस्कृति के कारण नहीं।' मुझे लगता है कि ये शब्द शैलजा जी के मूल वक्तव्य से कुछ अलग हैं। मेरा मानना है कि--हरियाणा को उसकी संस्कृति के कारण भी जाना जाता है। बहरहाल, हरियाणा में अगर रचनात्मक फिल्म-संस्कृति को पनपने का अवसर मिलता है तो इसका स्वागत होना ही चाहिए।
जवाब देंहटाएंachchha prayas dekhkar kushi hui ,nai jaankari bhi mili yahan aakar
जवाब देंहटाएंबड़ी मुश्किल सी घोषणा कर दी है. एसी घोषणाओं से काश किसी चीज़ की तरक्क़ी भी हो पाती.
जवाब देंहटाएंmy good ,better &best wishes to they all
जवाब देंहटाएंmeri taraf se aapko aur pure pariwar ko .....bade din ki shubhkaamnaayen
ek achha saharniya sahasik kadam hariyaali kee orr
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