सरहद तक आंगन है

POST NO. 18

WISHING YOU ALL A VERY VERY HAPPY INDEPENDENCE DAY

सरहद तक आंगन है

हम धरती के फूल, गगन पावन माटी चन्‍दन है,

देश एक परिवार हमारा,सरहद तक आंगन है।

सतरंगे सुमनों की शोभा , सब धर्मों की क्‍यारी,

मानवता की महक सभी में देश एक फुलवारी।

नाचें, गायें, खेलें, कूदें , भरें सभी किलकारी,

इस माटी को नमन करें, है जो प्राणों से प्‍यारी।

द्वेष,घृणा या लोभ सरीखे, भाव न मन में लायें,

कभी न मांगे, कभी न छीनें, पौरुष से उपजाएं।

श्रम आधार और समता ही जीवन शैली होगी,

कभी न हम से,मानवता की चादर मैली होगी।

ऐसा दृढ़ संकल्‍प हमारा , जीवन में अपनायें,

सबके लिए खुशी-खुशहाली इस जगती पर लाएं।

(1986)

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BY: From the desk of MAVARK

6 टिप्‍पणियां:

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  2. http://shama-shamaneeraj-eksawalblogspotcom.blogspot.com/

    Behad sundar rachna..! Waah..15 august kaa tohfa mil gaya!

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  3. स्वतंत्रता दिवस की बहुत शुभकामनायें .!!

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  4. ये आँगन हमेशा बना रहे..इसमे कोई गैर ना दस्त-अंदाज़ रहे!
    आज़ादी मुबारक हो !
    बेहद सुंदर रचना !

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://kavitasbyshama.blogspot.com

    http://shama-baagwaanee.blogspot.com

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