खाने का इंतजाम करते करते हाजिरी भी लगा रहे हैं तनेजा जी, दोनों व्यवस्थाएं एक दूसरे पर अन्योन्याश्रित हैं। हा हा हा
खूब हंसा रहे हैं तनेजा जी और अविनाश जी तो हंसाने में माहिर ही हैं, जो मेरे इस कथन से इत्तेफाक रखते हैं, वो यहां पर अपनी सहमति अवश्य दर्ज करें।
जहां तक पहली नुक्कड़ संगोष्ठी में चर्चा के लिए विषय के चयन की बात है, मैं शैलेश भारतवासी की सलाह से इत्तेफाक रखता हूं कि विषय :-
ब्लॉगिंग प्रोफेशनल यानी व्यावसायिक ब्लॉगिंग की ओर कैसे बढ़े ?
शैलेश जी द्वारा सुझाए गए विषय पर चर्चा के लिए हर भारतवासी ब्लॉगर तो तैयार मिलेगा। आखिर विषय ही धांसू सुझाया है, मंदी के इस दौर में .......
मेरे विचार से सिर्फ एक विषय ही काफी है चर्चा के लिए
और तनेजा जी विषय काफी हो तो इसका आशय यह कदापि न ले लें कि कॉफी का इंतजाम नहीं करना होगा। कॉफी का काफी इंतजाम होना चाहिए।
1 अप्रैल 2009 दिन रविवार को नुक्कड़ संगोष्ठी के लिए मैं दिन प्रस्तावित करता हूं।
तो तैयार हैं न आप ?
मैं तो तैयार हूं।
अच्छे कार्य को अच्छे दिन ही करना चाहिये, हमारे जैसे अच्छे लोग अवश्य आयेंगे.
जवाब देंहटाएंउससे पहले, 29 फरवरी को मेरे यहां आमन्त्रित हैं।
जवाब देंहटाएंबैरागी जी आप तो विष्णु हैं
जवाब देंहटाएंआपके निमंत्रण को सभी नुक्कड़
ग्रह के वासी सादर स्वीकारते हैं
परन्तु पहले आप 29 फरवरी
के साथ वर्ष भी लगायें और
वार तथा समय इत्यादि की
सूचना देने के साथ ही
बुलाने का मंतव्य
पहुंचने का गंतव्य
बस, रेल, सड़क रूट बतलायें
या हम यूं ही उड़ कर चले आयें
पर आयें कहां
बतलाना भूल गए देवताओं के जहांपनाह।
तब तक तनेजा जी की आलू पुरी से दूरी हाय ये कैसी मजबूरी।
जवाब देंहटाएंसही दिन रखा है व्यापारिक वर्ष का पहला दिन, जो वैसे भी मूर्खो के ही नाम होता है जी .अग्रिम बधाई स्वीकारे , हम अभी तक अपना देसी भारतीय मूर्ख दिवस होली वाले दिन ही मना लेते है सो हम एक ही साम मे दो दो बार ये पदवी प्राप्त करने को तैयार नही जी आपको ही मुबारक हो :)
जवाब देंहटाएंकहीं अप्रैल फ़ूल तो नही बना रहे है ना ?
जवाब देंहटाएंन फुल रहा है
जवाब देंहटाएंन फल रहा है
अभी तो है
प्रस्ताव जो
चल रहा है।
बहुत सोचकर रखा है दिन, इसके दो फायदे हैं एक तो सब को बुलावा भेज दिया और दूसरा इसको मजाक समझकर कम ही आएंगे.. दुआ करते हैं ये समागम सफलतापूर्वक संपंन्न हो..सब आएं.. एक नया इतिहास लिखा जाए...
जवाब देंहटाएंब्लॉगर मीट..भगवान करें मैं भी इस शामिल हूं.लेकिन बहुत बुद्धिजीवी तो नहीं...
विष्णु वैरागी जी,आप न्योता भेज रहे हैँ 29 फरवरी का.... अब हम 28 के महीने में कहाँ से ले कर आएँ ये उन्नतीसवाँ दिन?
जवाब देंहटाएंशैलेश जी का सुझाव कि कैसे ब्लॉग को व्यवसायिक रूप दिया जाए?से मैँ सहमत हूँ और मेरे हिसाब से अप्रैल का महीना तो अभी बहुत दूर है...शुभ काम में देरी नहीं होनी चाहिए।कोशिश ये होनी चाहिए की फरवरी का ही कोई दिन मुकर्रर किया जाए या फिर मार्च के पहले या दूसरे हफ्ते में गोष्ठी को रखा जाए।आप क्या कहते हैँ?
भाई सब कम से कम कौन सी गली में होना है ये तो बता देते .. हमई आ जाते
जवाब देंहटाएंमिश्र जी भाई एम यानी मोह या मोहन
जवाब देंहटाएंगली परांठे वाली में करायें तो आपको
मोह लेंगे परांठे, जलेबी वाली गली में
जलेबी, ब्लॉगर वाली गली में ब्लॉगर
इसलिए हम नुक्कड़ वाली गली में रहे
हैं करा, ताकि आप रहें जमें वहां
मिले
सारा जहां, गली, पगडंडी, रस्ता, चौरस्ता
सब कुछ सस्ता, मंदी के दौर में अच्छा रस्ता।