"अरे तनेजा जी!...ये क्या?...मैंने सुना है कि आपकी पत्नि ने आपके ऊपर वित्तीय हिंसा का केस डाल दिया है।"
"हाँ यार!...सही सुना है तुमने।" मैँने लम्बी साँस लेते हुए कहा।
"आखिर ऐसा हुआ क्या कि नौबत कोर्ट-कचहरी तक की आ गई?"
"यार!...होना क्या था?..एक दिन बीवी प्यार ही प्यार में मुझसे कहने लगी कि...
"तुम्हें तो ऐसी होनहार....सुन्दर....सुघड़ और घरेलू पत्नि मिली है कि तुम्हें खुश हो कर मुझ पर पैसों की बरसात करनी चाहिए।"
"तो? ठीक ही तो कहा उसने।"
'"मैंने कब कहा कि उसने कुछ ग़लत कहा?"
"फिर?"
"फिर क्या?...एक दिन जैसे ही मैंने देखा कि बीवी नीचे खड़ी सब्ज़ी खरीद रही है। मैंने आव देखा ना ताव और सीधा निशाना साध सिक्कों से भरी पोटली उसके सर पे दे मारी।"
"क्क...क्या?"
बहुत खूब आने वाले समय मे तो लगता ही है कि घरेलू हिंसा की जगह कहीं वितीय हिंसा न ले ले क्योकि आने वाले समय मे आर्थिक मंदी भी एक मुद्दा रहने वाला है इसके चलते अगर आगे चलकर यदि वितीय हिंसा को लेकर अगर केस आये तो कोई बड़ी बात नही होगी ...... .....
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