हिंदी ब्‍लॉगिंग को मल मल के मलमल समझ लें, बाबा निर्मल बनाने और किरपा बरसाने की कोशिशें हो रही हैं


हिंदी ब्‍लॉगिंग का खुशनुमा माहौल


अन्‍नाबाबा ने पिछले दिनों अपनी कतिपय चेलियों यानी हिंदी ब्‍लॉग जगत की वीरांगनाओं को हिन्‍दी ब्‍लॉग संसार में छाई असक्रियता को दूर करने के लिए जिम्‍मेदारी सौंपी थी। आपको सबको हर्ष के साथ बाबा सूचित कर रहे हैं कि सभी महिला ब्‍लॉगराओं ने अपनी इन सौंपी गई जिम्‍मेदारियों को बखूबी निभाया अपितु इनमें सृजनात्‍मकता के नए नवेले आयाम स्‍थापित किए हैं।
बाबा की ओर से दी गई छूट और दुरभिसंधि के तहत ‘सेक्‍स’, ‘वासना’ ‘बलात्‍कार’  जैसे अति-संवेदनशील मुद्दों पर भी इन्‍होंने जिस आतुरता और कपटता से कलम चलाई, वह वास्‍तव में सराहनीय है। अब बाबा यह स्‍वीकार रहे हैं कि हिंदी ब्‍लॉग जगत के पुरुष ब्‍लॉगरों से अधिक ताकतवर तो यह वीरांगनाएं हैं। जिन्‍होंने इस प्रकार से अभियान छेड़ा कि एक से एक धुर विरोधी महिला ब्‍लॉगराएं तक एकजुट हो गईं और किसी को ब्‍लॉग संसार में संदेह तक नहीं हुआ। हां, एक आध टिप्‍पणी में ऐसी सुगबुगाहटें अवश्‍य महसूसी गईं कि यह सारा खेल सुनियोजित हो सकता है, लेकिन उस और किसी ने गौर नहीं किया।
मजबूत और खुशबूदार ब्‍लॉगर
पुरुष ब्‍लॉगरों में अश्‍व-सौष्‍ठव के ब्‍लॉगरों से जितना तय हुआ था, उन्‍होंने उससे अधिक करके बाबा की ‘गुड बुक’ में अपना नाम सर्वोच्‍चतम स्‍तर पर लाने के घोर निंदनीय प्रयास किए और उनके इन कारनामों की खुलकर सभी ने निंदा की। इसमें शामिल ब्‍लॉगर किसी एक क्षेत्र से नहीं थे अपितु विश्‍व के सभी देशों, प्रदेशों से थे और उन्‍होंने अपनी कार्यों को अच्‍छे स्‍तर तक निबाहने की कोशिश तो की परंतु रास्‍ते में ही दोहरे होते गए, इन्‍हें घोड़ों या गधों का लोटना भी कहा जाता है। घोड़े ताकत के धनी होते हैं लेकिन गधों के पास तो बुद्धि भी नहीं होती है। जिसका नतीजा यह निकला कि इन्‍हें सब जगहों से जिल्‍लत का सामना करना पड़ा जिसके कारण यह और भी खफा होकर निजी छींटाकशी पर उतर आए। जिसके लिए वे कतई दोषी नहीं हैं।
वे सोचते रहे कि इस कार्य की एवज में उन्‍हें ‘चने’ और ‘हरी हरी घास’ का पौष्टिक भोजन सेवन के लिए मिलेगा। जबकि बाबा से जिनकी डील हुई थी, उनके पास न तो ‘चनों’ और न ‘हरी घास’ की उपलब्‍धता ही थी। जिसके कारण एक स्‍पांसर तलाशा गया और उससे हरे कांच के चश्‍मों की आपूर्ति करवाई गई ताकि उन्‍हें दमदार हिंदी ब्‍लॉगरों को पहना कर सूखी घास, पानी में भिगोकर हरी के भ्रम में खिलाई जा सके और आप सबको यह अति प्रसन्‍नतापूर्वक बतलाया जा रहा है कि बाबा इस कार्य में पूरी तरह सफल रहे हैं।
हम एक हैं और नेक ही रहेंगे
जबकि यह तय नहीं था कि पिछले वर्ष और इस वर्ष आयोजित किए जा रहे कल्‍पनाधीन और वास्‍तविकताधीन पुरस्‍कारों के संबंध में कुछ टिप्‍पणियां की जाएं और न ही अश्‍लीलता की हदों को पार करने का तय था। फिर भी इस संबंध में अपनी पोस्‍टों में किए गए उनके रचनात्‍मक योगदान के लिए सर्वाधिक सक्रिय एक पुष्‍प को उसकी महक के आधार पर इस वर्ष का ‘हिंदी ब्‍लॉगिंग में हंगामा मचाने और सक्रिय करने के लिए’ शिखर सम्‍मान देने पर मामला सूरज प्रभात उच्‍चाधिकारी समिति के विचाराधीन है।
इन दिनों में फेसबुक प्रबंधन की ओर से भी काफी शिकायतें प्राप्‍त हुईं कि फेसबुक में हिंदी ब्‍लॉगरों और ब्‍लॉगराओं की सक्रियता में काफी गिरावट दर्ज की गई है जिस पर जुकरबर्ग ने कितने ही अपने कामगारों को काम से हटा दिया। इस तथ्‍य से गूगल बहुत खुश हुआ है क्‍योंकि पिछले दिनों हिंदी ब्‍लॉगिंग की सक्रियता का सेंसेक्‍स तभी से काफी उठान पर है और दिनों‍ दिन नए सोपान हासिल कर रहा है।
मन में मैल न हो तो शारीरिक मैल को दूर करने के लिए कितने ही उपाय बाजार में मिल जाते हैं। शरीर स्‍वच्‍छ न हो सके तो उस शरीर को नष्‍ट करने के लिए ढेरों विकल्‍प मौजूद हैं। यह खुशी की बात है कि इन सबके मन में तनिक भी मैल नहीं है। जिससे यह साबित हो रहा है कि हिंन्‍दी ब्‍लॉगिंग के  ‘डर्टी’ होने की कतई आशंकाएं नहीं हैं। अगर ऐसी संभावनाएं कहीं पर सिर उठा भी नहीं हैं तो वे निर्मूल हैं। आप इस तरह की अफवाहों पर ध्‍यान मत दीजिएगा।
हिंदी ब्‍लॉगरों का गठबंधन सबसे बड़ा धन है
आप तुरंत अपनी टिप्‍पणी में यह अवश्‍य बताइएगा कि‘हिंदी ब्‍लॉगिंग में सक्रियता लाने के इन घनघोर उपायों’ से आप कितना इत्‍तेफाक रखते हैं और क्‍या कि इस प्रकार के उपाय प्रत्‍येक छमाही, तिमाही अथवा वार्षिक आधार पर चलाए जाते रहने चाहिएं। इसके अतिरिक्‍त भी आपके पास मौलिक सुझाव, सलाहें हों तो उन्‍हें भी अवश्‍य यहां पर अथवा अपने अपने ब्‍लॉगों पर लिखिएगा।
ताजा गन्‍ने का रस
इस पोस्‍ट पर प्राप्‍त टिप्‍पणियों के आधार पर हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग को डर्टीत्‍व के असर’ से मुक्‍त करने के उपाय भी समय-समय पर किए जाते रहेंगे। बाबा को यह मालूम है कि सब कुछ सच – सच बतला देने से उनके विरोधियों की संख्‍या और बढ़ जाएगी लेकिन बाबा इस बात से बिल्‍कुल भी चिंतित नहीं हैं क्‍योंकि विरोधियों को काबू करने के उपायों के लिए अन्‍नाबाबा ने आजकल चैनलों पर अतिसक्रिय थर्ड आई के देवत्‍व को प्राप्‍त बाबा से किरपा प्राप्‍त कर रखी है। वह निरंतर बरस रही है तब तक हिंदी ब्‍लॉगिंग का कोई भी बाल बांका नहीं कर सकता क्‍योंकि ब्‍लॉगिंग में आग तो अवश्‍य होती है लेकिन उसमें कभी भी कहीं भी बालों का अस्तित्‍व नहीं पाया गया है। हां, बवाल रूपी वायरस से यह पूरी तरह ग्रस्‍त हैं।
इस पोस्‍ट की आगामी कड़ी के तौर पर आप पढ़ेगे कि हिंदी ब्‍लॉगिंग को मठाधीशी के प्रभाव में और अधिक कैसे जकड़ा जाए। 
एक अन्‍ना कई रूपों में किरपा कर रहे हैं

7 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. वही बात है शाहनवाज भाई

      जिसके सहारे हवा चली
      और हवा से वाह तक का सफर

      पूरी ठंडक में गर्मी के साथ

      और पूरी गर्मी के साथ

      तय कर गई

      अब शिखर सम्‍मान मिले तो सफलता मानो।

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  2. अविनाश भाई ,
    ये तो हूबहू पिछली पोस्ट जैसी है , बस उसमें डर्टी डर्टी था ..इसमें मल मल है

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    उत्तर
    1. एक अंतर और है अजय भाई

      यहां पर गन्‍ने का ताजा रस

      वाला चित्र भी शामिल है।

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  3. वाकई ब्लॉगिंग में कई 'डर्टी-पिक्चर'टाइप सीन हैं,फिर भी यहीं पर हमारी बुद्धिमत्ता,योग्यता और स्वाभिमान कसौटी पर है.तमाम तरह के छपास-बिकास के रोग हैं जिनसे पार पाके ही हम इसके मल को शुचिता प्रदान कर सकते हैं !

    सार्थक-ब्लॉगिंग जारी रहनी चाहिए बिना किसी लालच या पुरस्कार की चाह के !

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    उत्तर
    1. मल मल के मिनरल न सही

      लेकिन निर्मल तो बनाया ही जा सकता है

      यही सही सिखला रहे हैं निर्मल बाबा

      वैसे हिंदी ब्‍लॉगिंग को जरूरत है आज

      मिनरल बाबा की।


      जल्‍द ही चुनाव करायेंगे

      उसके लिए नामांकन भी
      पैसे लगवाकर कर करवाएंगे

      देखते हैं कितने मन से गरीब

      इन चुनावों में भाग लेने
      और

      क्‍यों नहीं आयेंगे

      वैसे गारंटी है कि वही जीतेंगे

      हिंदी ब्‍लॉगिंग के वही काटेंगे

      दिख रहे हैं जो सारे फजीते।

      हटाएं

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