-फ़िरदौस ख़ान
झूठ की बुनियाद पर बनाए गए रिश्तों की उम्र बस उस वक़्त तक ही होती है, जब तक झूठ पर पर्दा पड़ा रहता है. जैसे ही सच सामने आता है, वो रिश्ता भी दम तोड़ देता है. अगर किसी इंसान को कोई अच्छा लगता है और वो उससे उम्रभर का रिश्ता रखना चाहता है तो उसे सामने वाले व्यक्ति से झूठ नहीं बोलना चाहिए. जिस दिन उसका झूठ सामने आ जाएगा. उस वक़्त उसका रिश्ता तो टूट ही जाएगा, साथ ही वह हमेशा के लिए नज़रों से भी गिर जाएगा. कहते हैं- इंसान पहाड़ से गिरकर तो उठ सकता है, लेकिन नज़रों से गिरकर कभी नहीं उठ सकता. ऐसा भी देखने में आया है कि कुछ अपराधी प्रवृति के लोग ख़ुद को अति सभ्य व्यक्ति बताते हुए महिलाओं से दोस्ती गांठते हैं, फिर प्यार के दावे करते हैं. बाद में पता चलता है कि वो शादीशुदा हैं और कई बच्चों के बाप हैं. दरअसल, ऐसे बाप टाईप लोग हीन भावना का शिकार होते हैं. अपराधी प्रवृति के कारण उनकी न घर में इज्ज़त होती है और न ही बाहर. उनकी हालत धोबी के कुत्ते जैसी होकर रह जाती है यानी धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का. ऐसे में वे सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपना अच्छा सा प्रोफाइल बनाकर ख़ुद को महान साबित करने की कोशिश करते हैं. वह ख़ुद को अति बुद्धिमान, अमीर और न जाने क्या-क्या बताते हैं, जबकि हक़ीक़त में उनकी कोई औक़ात नहीं होती. ऐसे लोगों की सबसे बड़ी 'उपलब्धि' यही होती है कि ये अपने मित्रों की सूची में ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं को शामिल करते हैं. कोई महिला अपने स्टेट्स में कुछ भी लिख दे, फ़ौरन उसे 'लाइक' करेंगे, कमेंट्स करेंगे और उसे चने के झाड़ पर चढ़ा देंगे. ऐसे लोग समय-समय पर महिलाएं बदलते रहते हैं, यानी आज इसकी प्रशंसा की जा रही है, तो कल किसी और की. लेकिन कहते हैं न कि काठ की हांडी बार-बर नहीं चढ़ती.
वक़्त दर वक़्त ऐसे मामले सामने आते रहते हैं. ब्रिटेन में हुए एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि ऑनलाइन रोमांस के चक्कर में तक़रीबन दो लाख लोग धोखा खा चुके हैं. धोखा देने वाले लोग अपनी असली पहचान छुपाकर रखते थे और आकर्षक मॉडल और सेना अधिकारी की तस्वीर अपनी प्रोफाइल पर लगाकर लोगों को आकर्षित किया करते थे. ऐसे में सोशल नेटवर्किंग साइटों का इस्तेमाल करने वाले लोगों का उनके प्रति जुड़ाव रखना स्वाभाविक ही था, लेकिन जब उन्होंने झूठे प्रोफाइल वाले लोगों से मिलने की कोशिश की तो उन्हें सारी असलियत पता चल गई. कई लोग अपनी तस्वीर तो असली लगाते हैं, लेकिन बाक़ी जानकारी झूठी देते हैं. झूठी प्रोफाइल बनाने वाले या अपनी प्रोफाइल में झूठी जानकारी देने वाले लोग महिलाओं को फांसकर उनसे विवाह तक कर लेते हैं. सच सामने आने पर उससे जुड़ी महिलाओं की ज़िन्दगी बर्बाद होती है. एक तरफ़ तो उसकी अपनी पत्नी की और दूसरी उस महिला की जिससे उसने दूसरी शादी की है.
बीते माह मार्च में एक ख़बर आई थी कि अमेरिका में एक महिला ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर अपने पति की दूसरी पत्नी को खोज निकाला. फेसबुक पर बैठी इस महिला ने साइड में आने वाले पॉपअप ‘पीपुल यू मे नो’ में एक महिला को दोस्त बनाया. उसकी फेसबुक पर गई तो देखा कि उसके पति की वेडिंग केक काटते हुए फोटो थी. समझ में नहीं आया कि उसका पति किसी और के घर में वेडिंग केक क्यों काट रहा है? उसने अपने पति की मां को बुलाया, पति को बुलाया. दोनों से पूछा, माजरा क्या है? पति ने पहली पत्नी को समझाया कि ज़्यादा शोर न मचाये, हम इस मामले को सुलझा लेंगे. मगर इतने बड़े धोखे से आहत महिला ने घर वालों को इसकी जानकारी दी. उसने अधिकारियों से इस मामले की शिकायत की. अदालत में पेश दस्तावेज़ के मुताबिक़ दोनों अभी भी पति-पत्नी हैं. उन्होंने तलाक़ के लिए भी आवेदन नहीं किया. अब दोषी पाए जाने पर पति को एक साल की जेल हो सकती है. पियर्स काउंटी के एक अधिकारी के मुताबिक़, एलन ओनील नाम के इस व्यक्ति ने 2001 में एलन फल्क के अपने पुराने नाम से शादी की. फिर 2009 में पति ओनील ने नाम बदलकर एलन करवा लिया था और किसी दूसरी महिला से शादी कर ली थी. उसने पहली पत्नी को तलाक़ नहीं दिया था.
दरअसल, सोशल नेटवर्किंग साइट्स के कारण रिश्ते तेज़ी से टूट रहे हैं. अमेरिकन एकेडमी ऑफ मैट्रीमोनियल लॉयर्स के एक सर्वे में भी यह बात सामने आई है. सर्वे के मुताबिक़ तलाक़ दिलाने वाले क़रीब 80 फ़ीसदी वकीलों ने माना कि उन्होंने तलाक़ के लिए सोशल नेटवर्किंग पर की गई बेवफ़ाई वाली टिप्पणियों को अदालत में एक साक्ष्य के रूप में पेश किया है. तलाक़ के सबसे ज़्यादा मामले फेसबुक से जुड़े हैं. 66 फ़ीसदी मामले फेसबुक से, 15 फ़ीसदी माईस्पेस से, ट्विटर से पांच फ़ीसदी और बाक़ी दूसरी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से 14 फ़ीसदी मामले जुड़े हैं. इन डिजिटल फुटप्रिंट्स को अदालत में तलाक़ के एविडेंस के रूप में पेश किया गया. पिछले दिनों अभिनेत्री इवा लांगोरिया ने बास्केट बाल खिलाड़ी अपने पति टोनी पार्कर का तलाक़ दे दिया. इवा का आरोप है कि फेसबुक पर उसके पति टोनी और एक महिला की नज़दीकी ज़ाहिर हो रही थी. ब्रिटेन में भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स की वजह से तलाक़ के मामले तेज़ी से बढ़े हैं. अपने साथी को धोखा देकर ऑनलाइन बात करते हुए पकड़े जाने के कारण तलाक़ के मामलों में इज़ाफ़ा हुआ है. ब्रिटिश न्यूज पेपर 'द सन' के मुताबिक़, पिछले एक साल में फेसबुक पर की गईं आपत्तिजनक टिप्पणियां तलाक़ की सबसे बड़ी वजह बनीं. रिश्ते ख़राब होने और टूटने के बाद लोग अपने साथी के संदेश और तस्वीरों को तलाक़ की सुनवाई के दौरान इस्तेमाल कर रहे हैं.
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जहां कुछ फ़ायदें हैं, वहीं नुक़सान भी हैं. इसलिए सोच-समझ कर ही इनका इस्तेमाल करें. अपने आसपास के लोगों को वक़्त दें, उनके साथ रिश्ते निभाएं. सोशल नेटवर्किंग साइट्स के आभासी मित्रों से परस्पर दूरी बनाकर रखें. कहीं ऐसा न हो कि आभासी फ़र्ज़ी दोस्तों के चक्कर में आप अपने उन दोस्तों को खो बैठें, जो आपके सच्चे हितैषी हैं. (स्टार न्यूज़ एजेंसी)
बेशक
जवाब देंहटाएंबेहद ज़रूरी आलेख था फ़िरदौस
शुक्रिया भाई...
हटाएंइतना होने पर भी लोग महफूज कैसे रह लेते हैं
जवाब देंहटाएंजरूर दूसरी, तीसरी और आने वालियों की मोहब्बत
होती होगी जो बन न पाती होगी आफत
जब बनती है आफत
तो नहीं मिलती कहीं भी राहत
सही कहा है - भ्रम खड़ा करना
और खुद खड़े होने में
सच पर टिके रहने में
बहुत अंतर है
यह अंतर तार तार करने वाले
फेसबुक और ब्लॉग जगत में
सोच रहे हैं कब्जा जमाए बैठे हैं
खुद उल्लू हैं
दूसरों को समझ रहे हैं लल्लू
देखा महफूज समझते हैं खुद को
और हैं पक्के हुड़कचुल्लू
लेकिन दोष कुछ हुड़कचुल्लियों का है
जो इन लल्लुओं के चेहरे को
काला न करके मतलब कल्लू न बनाकर
खुद चिकनी चमेली बन कर बैठी हैं
छिपी फेसबुक और ब्लॉग के पत्तों में ऐंठी हैं।
आपसे एक अनुरोध है कि टिप्पणी में ऐसे शब्दों का प्रयोग न करें, जिसके दो अर्थ निकलें...
हटाएंअमूमन देखा गया है कि लोग किसी सामाजिक समस्या पर चिंतन कर उसका समाधान निकालने की बजाय उसे और उलझा देते हैं...आप सब भाइयों से अनुरोध है कि टिप्पणी करते वक़्त इस बात का ख़्याल रखें...
पिछले दिनों एक समाचार मुरादाबाद से आया कि फेसबुक दोस्त वास्तविक जीवन में प्रणय सूत्र में बंधे, लेकिन यह रिश्ता ज़्यादा दिन टिक नहीं पाया...
बेहतर हो कि ऐसे संबंध बनाते समय थोड़ी छानबीन भी कर ली जाए...
हमें इस बात पर हैरानी होती है कि जो लोग किसी की बहन, बेटी या मां (आजकल तो बुज़ुर्ग महिलाएं भी अपने बेटे की उम्र के लड़कों के साथ संबंध बनाने में कोई बुराई नहीं मानतीं. ऐसे मामले सामने आते रहते हैं) की ज़िन्दगी बर्बाद करते वक़्त यह क्यों भूल जाते हैं कि अगर कोई उनकी बहन, बेटी या मां (क्योंकि वो भी तो औरत ही है ) के साथ यह सब करे तो उन्हें कैसा लगेगा...?
पहले कहावत थी कि दादा करेगा तो पोता भरेगा...लेकिन अब तो जो करता है, वो इसी ज़िन्दगी में अपना किया भुगत लेता है...
इसलिए अच्छा इंसान बनें...
अच्छी चेतावनी -
जवाब देंहटाएंआभार भाई जी ||
एक हल्का हास्य-
दद्दा दहलाओ नहीं, दादुर दिल कमजोर |
इक छोटे से कुँवें में, होता रहता बोर |
होता रहता बोर, ताकता बाहर थोड़ा |
सर्प ब्लॉग पर देख, भाग कर छुपे निगोड़ा |
चंचल मन का चोर, कनखियाँ तनिक मारता |
करता किन्तु 'विनाश', खेल वह चला भाड़ता ||
Prabhaavshaali aalekh...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अभिषेक जी...
हटाएंman par asar kar gai .aabhr.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संगीता जी...
हटाएंदुनिया बड़े कष्ट मे है... ऐसे मे वर्चुअल दुनिया ने भी काइयों को सम्हाल रखा है... पल भर के लिए कोई मुझे प्यार कर ले... झूठा ही सही
जवाब देंहटाएंशुक्रिया...
हटाएंआपने कहा कुछ लोग “ ख़ुद को महान साबित करने की कोशिश करते हैं |” बस यही पहचान है फरेबियों कि इस ब्लॉगजगत में भी |
जवाब देंहटाएंऐसा भी होता है...
हटाएंऐसे लोगों की कोई वास्तविक पहचान नहीं है.एक बार छल-छद्म खुल जाने पर बहुत से सतर्क हो जाते हैं,पर जो लोग आँख-कान मूंदकर ऐसी वर्चुअल दुनिया को असल दुनिया मान लेते हैं,वे ही बाद में माथा पकड़ते हैं.
जवाब देंहटाएंजिस व्यक्ति मन मानवीय-मूल्य नहीं हैं,वह समाज में किसी के लायक नहीं है.ऐसे व्यक्ति सिनिक और आत्ममुग्धता के शिकार होते हैं !
ऐसे लोग हीन भावना का शिकार होते हैं...
हटाएंमतलब मौका है और अभी भी ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया...
हटाएंशुक्रिया...
जवाब देंहटाएंविचारणीय प्रस्तुति के लिये आभार! आभासी जगत में लोग भी वास्तविक हैं और उनकी मनोवृत्तियाँ भी। तब फिर खतरे तो होने ही हैं। यदि एलन ओ'नील ने क़ानून तोड़ा है तो उसे सज़ा मिलनी ही चाहिये लेकिन अपराधी मनोवृत्ति किसी धर्म, जाति, लिंग या राष्ट्रीयता की ग़ुलाम नहीं होती। ऐसी महिलायें भी हैं जो माँ और पत्नी होते हुए भी नवयुवकों को अपने जाल में फ़ांस चुकी हैं। इसी प्रकार कई छद्मनामी लोग इंटरनेट पर खुलेआम भारतीय संविधान का, भारतमाता का, किसी माता का, कभी किसी धर्म का और कभी किसी विचारधारा का खुले आम अपमान करते रहते हैं। पता नहीं प्रशासन कहाँ सो रहा है! :(
जवाब देंहटाएंफ़िरदोस के लेख बेबाक होने के साथ ही चिंतनपूर्ण होते हैं। आभार!
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