आज हम विकसित समाज में रह रहें है.जहाँ हम अपनी परम्परा और आदर्शों को लेकर आगे बढ़ रहे है.आज हम अपनी जीवन शैली को आज के अनुरूप ढालने का प्रयास कर रहे है.पर क्या इस प्रयास में हम अपनी पहचान तो नहीं खो रहे है. हम तो अपने बड़ों की बताई बातों को सम्मान देते है.उनके अनुसार आगे बढते है, समाज में नारी का ओहदा सबसे ऊँचा मानते है. आज की नारी पुरुषप्रधान समाज में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है.लेकिन इस भाग दौड में हम कहीं कुछ पीछे छोड़ते जा रहे है क्या हम कभी उस पर गौर करेंगे ?
पूरा लेख को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
पूरा लेख को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें