आपको बिना आंकड़ों में उलझाए बात करने का प्रयास करूंगा इस लेख में.
हुआ क्या है- अमरीका का हाल ”आमदनी अठन्नी ख़र्चा” रूपया जैसा है. यह हालत पहले भी कोई बहुत अच्छी नहीं थी पर अब पहले से भी और पतली हो गई है. इसलिए अमरीकी संसद से और अधिक ऋण लेने की आज्ञा मांगी थी इसके राष्ट्रपति ने, जिस पर पहले तो संसद अड़ गई थी पर अंतत: इसे मानना ही था क्योंकि इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं था किसी के पास. इस समय, अमरीका के कुल वार्षिक उत्पाद का 95% के बराबर ऋण है आज इसकी सरकार पर. इस नए ऋण के दो मतलब हैं, आगे पढ़िए
हुआ क्या है- अमरीका का हाल ”आमदनी अठन्नी ख़र्चा” रूपया जैसा है. यह हालत पहले भी कोई बहुत अच्छी नहीं थी पर अब पहले से भी और पतली हो गई है. इसलिए अमरीकी संसद से और अधिक ऋण लेने की आज्ञा मांगी थी इसके राष्ट्रपति ने, जिस पर पहले तो संसद अड़ गई थी पर अंतत: इसे मानना ही था क्योंकि इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं था किसी के पास. इस समय, अमरीका के कुल वार्षिक उत्पाद का 95% के बराबर ऋण है आज इसकी सरकार पर. इस नए ऋण के दो मतलब हैं, आगे पढ़िए
असर तो होने लगा शेयर बाजार गिर पड़े |
जवाब देंहटाएंsahi baat keh rahe hain aap...abhi to or bhi bura hona hai american economy ka...mushkil ye hai ki american policy, ya debacle, ya problems ka asar sab jagah ho jata hai,,,,
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