आपका नाम न हो तो निराश मत होइयेगा। अगली बार आपका ही नंबर होगा। नंबर मतलब आपकी या आपके ब्लॉग की भी चर्चा होगी। अगर आपने अभी तक अपना ब्लॉग नवभारत टाइम्स ई पेपर की वेबसाइट पर न बनाया हो तो देरी मत कीजिए।
कहा गया है कि शुभ कार्य में देरी नहीं करनी चाहिए। सबसे पहले तो हम हिन्दी प्रेमी और नुक्कडडॉटकॉम नवभारत टाइम्स समूह का आभारी है कि उन्होंने हिन्दी ब्लॉगहित में अपनी साईट पर पाठकों को अपने ब्लॉग बनाने का अवसर देकर एक उल्लेखनीय कार्य किया है। इस कार्य के लिए नवभारत टाइम्स की जितनी सराहन (यहां क्लिक करके आप अपना ब्लॉग बना सकते हैं ) की जाए, कम है।
चंद दिनों में हिन्दी ब्लॉगिंग के अग्रणी हस्ताक्षरों ने अपने ब्लॉग बनाकर यह साबित कर दिया है कि उन्हें नभाटा का यह कदम कितना मन भाया है। इन दिनों वैसे भी हिन्दी ब्लॉग जगत एग्रीगेटरों की समस्या से जूझ रहा था जबकि ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत जैसे शीर्ष एग्रीगेटरों ने अपने कार्य पर विराम लगा दिया था।
मेरा सदा से यही मानना रहा है कि इस जहां में जो भी होता है, सदैव अच्छे के लिए होता है। इसी का प्रतिफल है कि नवभारत टाइम्स समूह ने हिन्दी ब्लॉगरों की इस परेशानी को दूर करने के लिए तुरंत कार्य किया, नतीजा आपके सामने है।
नवभारत टाइम्स के संपादकों और स्तंभकारों के ब्लॉग की सुविधा तो साइट पर काफी समय से रही है परंतु पाठकों के लिए यह सुविधा देकर नभाटा समूह ने हिन्दी ब्लॉगरों का दिल जीत लिया है। जिन पाठकों/लेखकों ने अभी तक अपने ब्लॉग नभाटा पर न बनाए हों वे अपने पुराने ब्लॉग तो इनके एग्रीगेटर से जोड़ें ही, अपना एक स्वतंत्र ब्लॉग भी अवश्य बना लें।
आने वाले सोमवार को नुक्कड़ पर जो चर्चा की जाएगी वो विशेष तौर पर नवभारत टाइम्स ई पेपर और इसकी साईट पर बनाए गए ब्लॉगों पर केन्द्रित रहेगी। इसलिए आप अपना ब्लॉग बना लें, हो सकता है सोमवार को होने वाली चर्चा में आपके ब्लॉग की भी चर्चा हो।
हिन्दी ब्लॉगहित में प्रकाशित एवं प्रसारित।
कहा गया है कि शुभ कार्य में देरी नहीं करनी चाहिए। सबसे पहले तो हम हिन्दी प्रेमी और नुक्कडडॉटकॉम नवभारत टाइम्स समूह का आभारी है कि उन्होंने हिन्दी ब्लॉगहित में अपनी साईट पर पाठकों को अपने ब्लॉग बनाने का अवसर देकर एक उल्लेखनीय कार्य किया है। इस कार्य के लिए नवभारत टाइम्स की जितनी सराहन (यहां क्लिक करके आप अपना ब्लॉग बना सकते हैं ) की जाए, कम है।
चंद दिनों में हिन्दी ब्लॉगिंग के अग्रणी हस्ताक्षरों ने अपने ब्लॉग बनाकर यह साबित कर दिया है कि उन्हें नभाटा का यह कदम कितना मन भाया है। इन दिनों वैसे भी हिन्दी ब्लॉग जगत एग्रीगेटरों की समस्या से जूझ रहा था जबकि ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत जैसे शीर्ष एग्रीगेटरों ने अपने कार्य पर विराम लगा दिया था।
मेरा सदा से यही मानना रहा है कि इस जहां में जो भी होता है, सदैव अच्छे के लिए होता है। इसी का प्रतिफल है कि नवभारत टाइम्स समूह ने हिन्दी ब्लॉगरों की इस परेशानी को दूर करने के लिए तुरंत कार्य किया, नतीजा आपके सामने है।
नवभारत टाइम्स के संपादकों और स्तंभकारों के ब्लॉग की सुविधा तो साइट पर काफी समय से रही है परंतु पाठकों के लिए यह सुविधा देकर नभाटा समूह ने हिन्दी ब्लॉगरों का दिल जीत लिया है। जिन पाठकों/लेखकों ने अभी तक अपने ब्लॉग नभाटा पर न बनाए हों वे अपने पुराने ब्लॉग तो इनके एग्रीगेटर से जोड़ें ही, अपना एक स्वतंत्र ब्लॉग भी अवश्य बना लें।
आने वाले सोमवार को नुक्कड़ पर जो चर्चा की जाएगी वो विशेष तौर पर नवभारत टाइम्स ई पेपर और इसकी साईट पर बनाए गए ब्लॉगों पर केन्द्रित रहेगी। इसलिए आप अपना ब्लॉग बना लें, हो सकता है सोमवार को होने वाली चर्चा में आपके ब्लॉग की भी चर्चा हो।
हिन्दी ब्लॉगहित में प्रकाशित एवं प्रसारित।
aapki salaah aur nirdeshan se mai bhi padhaar chuka hoon !
जवाब देंहटाएंनवभारत के यहां ब्लाग तो मैंने भी बनाया था. फ़ार्म-वार्म भरने के बाद संदेश दिखा कि इमेल से बताएंगे आपको कि आपकी अर्ज़ी का क्या किय हमने... बस, उसके बाद से भूतनी के सो गए हैं, कोई ख़बर नहीं आजतक .... अरे भई नाराज़ भी हो तो, कम से कम एक स्पैम ही मार देते ...
जवाब देंहटाएं:)
काजल जी, आपका ब्लॉग बन चुका है, आप लॉगिन करके पोस्ट तो लगाइये।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद. एक पोस्ट टांग दी है. देखता हूं कब साब लोगों को उसे पढ़ कर स्बीकृत करने का समय मिलता है. 4 MB की फ़ोटो लगाने देते हैं... बस एक ही अच्छी बात लगी कि उनका अपना ब्लाग एग्रीगेटर है.
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