हम सभी अपने बच्चों की पढाई को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं पर क्या कभी आपने गौर किया है कि आपका लाडला अपने बचपन में किस प्रकार के खेल खेलता है |ये आलेख लिखते -लिखते मुझे अपना बचपन याद आगया और मैंने वे सभी खेल यहाँ लिख दिए जो हम खेला करते थे| शायद आप भी बच्चों के लिए इसमें से कुछ चुन ले | वैसे तो आज के मॉडर्न युग में इतने बड़े-बड़े समर केम्प लगा दिए जाते हैं कि हम सभी अपने बच्चों को वहीं भेजने में अपना बडप्पन मानते हैं| पर अब भी कुछ खेल बाकी है जिनको खिलाकर हम अपने बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास कर सकते हैं |
1. पोसमपा भई पोसमपा
पोसम पा भई पोसम पा
डाकियो ने क्या किया
सौ रुपये की घड़ी चुराई
अब तो जेल में फंसना पडेगा
जेल की रोटी खानी पड़ेगी
जेल का पानी पीना पडेगा
अब तो जेल में रहना पडेगा|
2. तितली तितली रंग दे |
कैसा
मन चाहे जैसा
लाल
बच्चे लाल रंग की वस्तुओ को छूकर बताएँगे |
ऐसे ही सब रंगों का नाम लेकर बच्चों को रंगों की जानकारी देंगे |
३. सभी बच्चे छोटा गोला बनाकर घूमेंगे|
एक बच्चा बाबा बनेगा |
सभी बच्चे उससे पूछेंगे|
बाबा बाबा कहाँ जारहे
गंगा नहाने
गंगा तो ये रही
ये तो छोटी है
एक पैसा डाल दो
बडी हो जाएगी |
(बाबा बना बालक उसमें पैसा डालेगा और बच्चे गोले को बड़ा कर लेंगे|) आओ मिलकर गंगा नहाएं |
४. बच्चे अपनी मुठ्ठी एक दूसरे की मुठ्ठी के ऊपर रख लेंगे|
(बच्चे गायेंगे )
बाबा बाबा आम दो
( एक कहेगा )
आम है सरकार के
(सभी बच्चे )
हम भी हैं दरबार के
(पहला बच्चा कहेगा)
एक आम उठा लो
( सभीबच्चे आम उठा कर)
ये तो खट्टा है
दूसरा उठा लो
मीठा है मीठा है
मेरा आम मीठा है |
५. पक्षियों का नाम लेकर कहेंगे तोता उड़ ,चिड़िया उड़|
बीच –बीच में जानवरों का नाम लेकर कहेंगे- गाय उड़,कुत्ता उड़ | यदि बच्चा जानवर के नाम पर भी अपनी अंगुली उठा देता है तो वह खेल से निकल जायेगा|
६, सभी बच्चे अपना अपना हाथ जमीन पर रख लेंगे | एक बच्चा सभी के हाथों को छूता हुआ गाना गायेगा
अटकन बटकन दही चटकन वन फूले बंगाले
मामा लायो सात कटोरी एक कटोरी फूटी
मामा की बहू रूठी
काहे बात पे रूठी खाने को बहुतेरो
दूध दही बहुतेरो |
राजा के भयो लड़का
बिछा दे रानी पलका
अंतिम शब्द जिसके हाथ पर आएगा वह खेल में निकल जाएगा ऐसे करके सबसे बाद में जो बच्चा रह जाएगा सभी लोग उसके हाथों पर चपत मारेंगे उसे अपना हाथ बचाना होगा | इसी प्रकार खेल खेला जाएगा |
७. इन खेलों के अतिरिक्त गेंद के खेल (सेका सिकाई ,गिट्टी फोड ,सात टप्पे) ऊँच-नीच ,किल किल कांटे,नीली पीली साड़ी ,खो-खो ,रस्सी कूद ,गुटके ,स्टापू (जमीन पर आकृति बनाकर उसके खानों में गोटी डालना )अन्त्याक्षरी ,संज्ञा शब्द खेल (नाम-व्यक्ति, वस्तु, शहर,जानवर,पिक्चर )पर्ची खेल ( राजा, वजीर, चोर, सिपाही )छूहा छाही ,विष अमृत ,गुड़िया-गुड्डे के खेल ,केरम,साँप -सीढ़ी,लूडो ,पतंग,गुल्ली डंडा, कंचे गोली अवश्य खिलाए जाए | ये खेल बच्चों के शरीर को स्वस्थ रखते हैं साथ ही उनकी मानसिक क्षमता में वृद्धि भी करते हैं|बच्चे अनुकरण से सीखते हैं | कई बार वे अपने खेलों का निर्माण खुद कर लेते हैं जैसे डाक्टर बनकर सुईं लगाना और दवाई देना , टीचर बनकर बच्चों को पढ़ाना ,माता पिता बनकर उनके जैसा व्यवहार करना ये सभी खेल बच्चे स्वयं निर्मित करते हैं और अपने को अभिव्यक्त करते हैं |अपने बच्चों के बचपन के खेल देखकर हमें उनकी रूचि पता लगती है | कुछ बच्चों को कला बनाना बहुत पसंद है तो कुछ बच्चे अपने बेग में अपना खजाना रखते हैं मसलन चूड़ी के कुछ टुकड़े, कुछ तस्वीरें, कुछ कंचे कुछ टूटी पेंसिलें जो माता पिता और टीचर की निगाह में कूड़ा हो सकती हैं पर बच्चे को अपना ये खजाना बहुत प्रिय होता है बल्कि कहें कि वे इसे अपना राज्य मानते हैं और हम बड़े उस बच्चे के उस बेशकीमती खजाने को कूड़ा समझ कर फेंक देते हैं|मैंने भी कई बार ये गलती की कि जब बच्चों का बेग देखती थी तब उनकी बेशकीमती चीजों को बड़ी निर्ममता से फेंक दे देती थी| इस बार प्रयास के एक बच्चे ने बड़ी मासूमियत से कहा दीदी क्या आपको पता है कि जो सामान आपने फेंक दिया वह मैं ने कितनी मुश्किल से ओदा था | सच ही हमें बच्चों के प्रति अपना नजरिया बदलना होगा | अब इतना ही | शेष अगली पोस्ट में|
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