परीक्षा के लिए क्या दिन
और क्या रात
जी हां, परीक्षा में
क्या बरसात
पर जब जानना
चाह रहे हों हम
जिसका दिखला रहे हैं टाइटल
वो क्या है
उपन्यास है
कहानी है
कविता है
व्यंग्य है
या
सभी विधाओं का
एकमात्र जानकीपुल है
इस उलझन को
सुलझाने का दायित्व
बनता है
हिन्दी के ब्लॉगरों का
ब्लॉगर यानी चिट्ठाकार
साहित्य की प्रत्येक
विधा पर सवार
नहीं सरकार
फिर भी
तेवरदार
असरदार
होते हुए भी सरदार
मैं हटता हूं
आपसे पूछता हूं
देखता हूं
कौन बतलाते हैं
सबसे पहले आते हैं
बोलेरो है
एक कार का
उच्च मॉडल
उसकी भी बनाई है
क्लास यानी श्रेणी
बतलायें
स्पष्ट तौर पर
जिससे हम भी समझ जाएं।
मिलिये इंदल सिंह नवीन ‘सत्याग्रही’ से जो अपने इलाके में इसलिए ‘अमर’ हुए कि उनके आत्मदाह का ‘लाइव टेलिकास्ट’ हुआ और पूरी दुनिया को पता चला कि उनका छोटा-सा कस्बा नरसिंहपुर भी ब्रेकिंग न्यूज़ आइटम हो सकता है; मिलिये रामचरणदस, चतुर्थवर्गीय कर्मचारी, सीतामढ़ी समाहरणालय उर्फ़ बंडा भगत से जिनकी जिंदगी और मौत दोनों डी. एम. साहब का अर्दली बन जाने भर से बदल गयी; मिलिये पिक्कू उर्फ़ पंकज से जो एक रेस्तराँ खोलकर ‘बोलेरो क्लास’ में जाने के सपने देखता है और जेल पहुँच जाता हैः प्रभात रंजन की कहानियाँ दूरदराज़ के छोटे इलाकों में बिखरे ऐसे ही पात्रों से बनी हैं जिनका लोकल बहुत दूर से आ रहे ग्लोबल से बनता बिगड़ता रहता है. ये हमें ‘द ग्रेट इंडिया स्टोरी’ के असल अँधेरे अंडरग्राउंड में ले जाती हैं: इस अंडरग्राउंड में कोई चमकीला बहाना या भुलावा आपको बचा नहीं सकता. इन कहानियों की भाषा जैसी निस्संग लय से चलते हुए जीवन यहाँ एक ख़ास हिन्दुस्तानी ठंडेपन से, बिना ट्रेजेडी का स्वाँग रचाए, बिना अपने को शर्म में गर्क़ किये अपने मामूलीपन और अपनी ऊँचाई का सामना करता है.
जवाब देंहटाएंप्रभात रंजन की कथा का यह अपना ख़ास लोकेल बिहार और नेपाल की सरहद का क़स्बा सीतामढ़ी है जो फणीश्वरनाथ रेणु के पूर्णिया और आर. के. नारायण के मालगुड़ी की याद दिलाता है हालाँकि हिंदी के इस बेहतरीन युवा कथाकार का रास्ता इन दोनों महान कथाकारों से बहुत अलग है.
कहानी संग्रह. पेपरबैक. पृष्ठ संख्या: 128. प्रथम संस्करण. आईएसबीएन: 978-81-920665-5-4.
मूल्य: भारत में रु 150, भारत से बाहर $ 10
google.com se saabhaar
bahut-bahut shukriya.
जवाब देंहटाएंसत्याग्रही जी और उनके कहानी संग्रह के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा |
जवाब देंहटाएंबोलेरो क्लास के नाम से कभी एक ब्लॉग पोस्ट भी पढ़ी थी
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत सुंदर. छोटे शब्द और गहरे अर्थ
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत सुंदर. छोटे शब्द और गहरे अर्थ
जवाब देंहटाएं================================
’व्यंग्य’ उस पर्दे को हटाता है जिसके पीछे भ्रष्टाचार आराम फरमा रहा होता है।
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सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी