फ़िल्म वालों ने भी रुमाल का प्रचार-प्रसार करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी। फ़िल्मों एवं फ़िल्मी गीतों में रुमाल का इस्तेमाल धड़ल्ले से होने लगा। जब प्राण जैसा उम्दा खलनायक गले में रुमाल बांधकर रामपुरी चाकू परदे पर लहराता था तो दर्शक सिहर उठते थे और यही रुमाल देवानंद गले में डाल कर एक गीत गाता था तो सिनेमा हॉल सीटियों से गुंज उठता था। फ़िल्मी गीत भी चल पड़े -"हाथों में आ गया जो कल रुमाल आपका, बेचैन केर रहा है ख्याल आपका" दूंगी तैनू रेशमी रुमाल,ओ बांके जरा डेरे आना, ओ रेशम का रुमाल गले पे डालके, तु आ जाना दिलदार, मै दिल्ली का सुरमा लगा के अरे कब से खड़ी हूँ दरवज्जे पे, उलझे से गाल वाला,लाल लाल रुमाल वाला। इस तरह फ़िल्मों मे रुमाल अब तक छाया हुआ है। आगे पढें
दूंगी तैनू रेशमी रुमाल
Posted on by ब्लॉ.ललित शर्मा in
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