बचपन की प्यारी यादों का पिटारा जिन अनगिनत बातों को समेटे रहता है उनमें से एक दादी-नानी से सुनी कहानियां भी होती हैं । कहानियां जो समाज की व्यवस्था से लेकर परिवार और व्यवहार तक, जीवन के हर पहलू की सीख दिया करती थीं। घर के बङे बुजुर्गों के सान्निध्य में हर पीढी किस्सा कहानी सुनती आई है। पहले संयुक्त परिवार हुआ करते थे इसलिए शाम ढलते ही मंडली जम जाया करती थी और बच्चे सब कुछ भूल कर रम जाते थे इन कहानियों में। पूरी पोस्ट कृपया यहाँ पढ़ें ......
हाँ.......काम करती हैं कहानियां.....!
Posted on by डॉ. मोनिका शर्मा in
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Dr Monika Sharma
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ab na ve dadi, nani rahin aur naa hi vo kahaniyan......bachpan is beech kahin kho gaya hai!
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