परिकल्पना डॉट कॉम होरी में ऐसा होरिआया की अभी तक होश में नहीं आ पाया, अब क्या करूँ .....जगाये नहीं जग रहा और जाग भी जा रहा है तो तिलमिला रहा है ससुरा .....मैंने सोचा कि जब तक वह पूरी तरह होश में नहीं आ जाता उसकी आत्मा को ब्लॉग स्पॉट के हवाले क्यूँ न कर दिया जाए ?
तो लीजिये भैया !
परिकल्पना को एक-दो दिन के लिए मैं ब्लॉग स्पॉट के खूंटे में बाँध रहा हूँ ताकि
परिकल्पना की आत्मा जीवित रहे ......!
आप भी फिलहाल परिकल्पना को ब्लॉग स्पोट के घर में ही ढूंढिए हुजूर , पता है-
परिकल्पना : http://parikalpnaa.blogspot.com/
और-
वटवृक्ष : http://urvija.blogspot.com/
Are, ye to bada dukhdayi hai.
जवाब देंहटाएंपरिकल्पना मै जब आप का हाल बेहाल हो गया तो अब हमे फ़ंसा रहे हे...
जवाब देंहटाएं