लुटेरे आज अपने को कमेरे कह रहे हैं...............

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  • डॉ० डंडा लखनवी
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  •                             --डॉ० डंडा लखनवी

                    मुक्तक :
        "सुबेरे को  नकारा अब  कुबेरे कह  रहे हैं।
         उजाले में धरा क्या है अंधेरे  कह  रहे हैं।।
         हवस ऐसी महल ख़ुद को बसेरे कह रहे हैं।
         लुटेरे आज अपने  को  कमेरे  कह रहे हैं।।"
                    
                 

    8 टिप्‍पणियां:

    1. कमरतोड़ मेहनत करते हैं
      तो कमेरे ही हुए न
      लूटने के लिए तोड़नी ही पड़ती है
      कमर सदा सामने वाले की।

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    2. जमाने का दस्तूर कुछ ऐसा ही है। लुटेरे खुद को ही कमेरा बताते हैं।

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    3. आज की खबर ..लोगों को बेहोश कर चोरी करने का नया तरीका...कूलर में नशीली दवाई डाल कर घर के सारे सदस्यों को बेहोश कर कर चोरी करना

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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