सोचा था,
रासायनिक युद्ध का यह परीक्षण
उन्हें बहुत महंगा पडे़गा
भोपाल, उठ खड़ा होगा और लडे़गा
हमारा सोचना चन्द लमहों में फिजूल हो गया
जब सारा शहर
मुआवजा और अन्तरिम राहत में खो गया।
हमारा सोचना चन्द लमहों में फिजूल हो गया
जब सारा शहर
मुआवजा और अन्तरिम राहत में खो गया।
सोचा था,
मेहनतकशों के साथ
साम्राज्यवाद का यह षड़यंत्र
उन्हें बहुत महंगा पड़ेगा
पूंजी का निरंकुश तंत्र अब सडे़गा
हमारा सोचना चंद लमहों में फिजूल हो गया
जब न्याय,
कानून और अदालत की चौखट पर सो गया।
सोचा था,
लाशों का यह व्यापार
उन्हें बहुत महंगा पडे़गा
देश, उनके आदमखोर मुंह पर तमाचा जडे़गा
हमारा सोचना चंद लमहों में फिजूल हो गया
जब दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र
साम्राज्यवाद की गोद में सो गया।
साम्राज्यवाद का यह षड़यंत्र
उन्हें बहुत महंगा पड़ेगा
पूंजी का निरंकुश तंत्र अब सडे़गा
हमारा सोचना चंद लमहों में फिजूल हो गया
जब न्याय,
कानून और अदालत की चौखट पर सो गया।
सोचा था,
लाशों का यह व्यापार
उन्हें बहुत महंगा पडे़गा
देश, उनके आदमखोर मुंह पर तमाचा जडे़गा
हमारा सोचना चंद लमहों में फिजूल हो गया
जब दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र
सवाल यहीं कहां ख़त्म होता है. सरकारों ने क्या ये सीखा कि कड़े नियमों का पालन कराना ज़रूरी है? अभी तो हमें कई भोपाल त्रासदियों की दरकार है तब शायद कुछ हो...
जवाब देंहटाएंसोचा था,
जवाब देंहटाएंलाशों का यह व्यापार
उन्हें बहुत महंगा पडे़गा
देश, उनके आदमखोर मुंह पर तमाचा जडे़गा
हमारा सोचना चंद लमहों में फिजूल हो गया
जब दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र
साम्राज्यवाद की गोद में सो गया।
बहुत सही अभिव्यक्ति !!