मोहब्बत में बेकार अब डाकखाना।
नहीं प्रेम पत्रों का अब वो जमाना ॥
जिसे देखिए वो मोबाइल लिए है ।
मोबाइल के जरिए मरे है, जिए है॥
मोबाइल हुआ अब तो गाजर व मूली।
करें माफिया इससे हफ़्ता वसूली ॥
मोबाइल पे कुछ हैं चुकाते उधारी।
मोबाइल पे अब भीख मांगें भीखारी॥
मोबाइल से छुटना मोबाइल से फंसना॥
मोबाइल मोहब्बत का आधार है जी।
मोबाइल बिना अब कहाँ प्यार है जी॥
मोबाइल के जरिए मोहब्बत इजी है।
मोबाइल में हर एक बंदा बिजी है॥
मोबाइल भीतर लवर के हैं फोटो।
न लव हो, लवर हो मोबाइल पे लोटो॥
मोबाइल महिमा का आपने अच्छा वर्णन किया
जवाब देंहटाएंवास्तव में जब से मैंने मोबाइल लिया मैं तो परेशान
हूँ । साँप के गले में छछूँदर न उगलते बने न
निगलते..आपका नाम और रचना दोनों
अविस्मरणीय है ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
बहुत ही रोचक और सार्थक व्यंग ....
जवाब देंहटाएंलो जी मोबाइल के ज़रिए कमेंट है मारा
जवाब देंहटाएंमोबाइल के बिना ना चले काम हमारा
डंडा की बातें हैं सबसे निराली
पढके कविता, लगे मोबाइल और भी प्यारा।