जिनसे कभी मिले नहीं
उनसे बिछड़ने का क्या गम होगा।
ज़ख्मों को हरा करने से
दर्द भला क्या कम होगा।
वो उस सरहद का बारूद
इस सरहद में रख देते हैं
इससे भी बढ़कर भला
कौन बेवफा सनम होगा!
फ़िर भी सब शिकवे भुलाकर
इंतज़ार आज भी करते हैं
कि उनकी भी आंखों में
कोई तो कोना नम होगा।
बंटवारा सरहदों का नही
हिन्दुस्तान के दिलों का हुआ था
दिल से दिल जब मिलेंगे
तब ही ये फासला कम होगा।
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Batwara achcha hota hi nahi..yah shabd hi bura hai..
जवाब देंहटाएंbehad umda rachan..sundar abhivyakti..
badhayi..
की उनकी भी आंखों में
जवाब देंहटाएंकोई तो कोना नम होगा।
बेह्तरीन भाव और सुन्दर अभिव्यक्ति
गम का बंटवारा चाहते हैं सब
जवाब देंहटाएंनहीं चाहते सुख बांट लें सभी।
बहुत सुन्दर लाजवाब रचना,।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा आप ने, ओर अविनाश जी की टिपण्णी भी एक कडबा सच है, अगर सभी सुख बांट ले तो दुख काहे हो आये. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकब मिलेंगे दिल से दिल,कब होंगे फासले कम ..!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें..!!