मित्र मेरे जो पढ़ते हैं मेरा लिखा
मेरी रचना का कहते हैं स्वाद चखा
न जाने कैसे टिप्पणी तो कर जाते हैं
चाहे टिप्पणी हो कैसी भी पर वे मेरे
तो मन को खूब भाते हैं
, शिकायत :
पर पसंद पर चटका लगाना भूल जाते हैं ?
पसंद चटकाने से रचना का मजा हो जाता है दूना
जितनी पसंद चटकती हैं आनंद बढ़ता है कई गुना।
एक नए ब्लॉगर का शिकायतनामा है। जिसको भावों में मैंने बांध दिया है। इतना गूढ़ संदेश खुले शब्दों में उतार दिया है।
एक नए ब्लॉगर का शिकायतनामा (अविनाश वाचस्पति)
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पर आप तो नए ब्लागर नहीं .. इसलिए शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होगी .. नए होते तो पसंद पर चटका लग जाता .. और आपने ईमेल में भी गलती लिखकर भेजा है .. शीर्षक दूसरे का और लिंक दूसरे का ।
जवाब देंहटाएंआप की शिकायतनामा सुनी जायेगी । धन्यवाद
जवाब देंहटाएंपसंद पर भी चटका लगा दिया था !!
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली लेखन है... बहुत सुन्दरता पूर्ण ढंग से भावनाओं का सजीव चित्रण... आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी… बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंFrom- Meri Patrika : www.meripatrika.co.cc/
bahut maarmik
जवाब देंहटाएंshubhkaamnaen haardik
chatka zaroor lagaenge
utsaah ko bhi badhaenge
chinta mat keejie
hanste aur hansate rahiye
नए ब्लोगर की ओर से बोलने के लिए धन्यवाद... चलो, किसी ने तो नए ब्लोगर्स की व्यथा को समझने का प्रयास किया... सभी ब्लोगर कभी न कभी तो नए रहे ही होंगे, जाने क्यूँ 'पुराने' होते ही बेचारे 'नयों' की समस्याए भूल जाते हैं... नए लोगो के समर्थन में यूं ही लिखते रहिये, और अभी लगाते है पसंद का चटका, सर !
जवाब देंहटाएंआखिर एक चटका लगाने में वक़्त ही कितना लगता है !
:)
laga diya bhai !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शिकायत नामा है.
जवाब देंहटाएंशिकायत दूर कर दी जायेगी ..!!
जवाब देंहटाएंJaayaaz baaten.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
पसंद पर चटाका लगा दिया है।
जवाब देंहटाएंpasand par click kar diya:)
जवाब देंहटाएंनया नौ दिन...पुराना सौ दिन
जवाब देंहटाएंवैसे शिकायत तो आपकी जायज़ है
बहुत ही दिल्चस्प.
जवाब देंहटाएंकोशिश जरूर करूंगा उम्दा ठोकर के लिए...लिखते रहिये..पढ़ते रहिये
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