क्रॉनिक हेपिटाइटिस सी और अपने परिवार जनों से पीडित अविनाश वाचस्‍पति

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  • आज तक सोशल मीडिया पर अपने अनुभव और संवेदनाएं जाहिर की हैं, वो कड़वे करेले के माफिक एकदम सच हैं और जहां पर उन्‍हें बतलाया गया है कि ऐसा कुछ नहीं है, वह सब सामाजिक दबाव के तहत मुझसे परिजनों ने लिखवाया है। 
    इसी रोग के कारण मुझे सरकारी सेवा से स्‍वैच्छिक सेवा छोड़नी पड़ीए 55 साल की आयु में जबकि 60 साल की आयु तक नौकरी कर सकता था। उसके कारण पत्‍नी, पुत्र और पुत्रवधू काफी खफा है, यह उनके व्‍यवहार में झलकता है। मुझे हर बात पर पागल बतलाया जाता है और वैसा ही सुलूक किया जाता हे। मेरी सारी सरकारी पेंशन और पी जी फोर गर्ल्‍स से प्राप्‍त आय तो पत्‍नी और बड़ा पुत्र अपनी मर्जी से खर्च कर रहे हैं। मांगने पर भी वित्‍तीय अधिकार मुझे नहीं दे रहे हैं। कहते हैं इस बीमार और बुड्ढे के वश का घर ख्‍र्च प्रबंधन करना पासीबल नहीं है। सोच रहा हूं परिवार कोर्ट में जाकर इन सबकी बेदखली के आदेश करवा लूं और अकेला एक व्‍यक्ति नियुक्‍त कर लूं जो 24 घंटे मेरे साथ रहे और मुझे कहीं जाना हो तो मेरे साथ चले और सुगर के अनुसार मेरे खाने का ध्‍यान रखे। अपनी गाडि़यां अपने अधिकार में ले लूं और उसी से चलवाऊं जो सैलरी वह मांगे उसे हर महीने दूं । कुठ निजी काम संपादन इत्‍यादि का कर लूं । मेरे वीआरएस पर जो रुपये मुझे मिले थे उसमें से मेरी पत्‍नी और पुत्र ने एक बडृी धनराशि साले साहब को दे दी हैं, बस गनीमत यह रही है कि भुगतान व्‍हाइट में किया गया, वापसी मे पता चला है कि उन्‍होंने कुछ महीनों का ब्‍याज और मूल धन नहीं लौटाया है लगभग 6 लाख रुपये। वकील के जरिए खातों का मिलान करवा कर बकाया राशि की प्राप्ति के लिए कोर्ट में  दावा पेश करूं क्‍योंकि फरवरी में लगभग दो साल पहले पुत्री के विवाह के लिए धनराशि वापिस ली गई, उस समय मैं बत्रा अस्‍पताल के आईसीयू में भर्ती था। मुझे कहा गया कि ढाई लाख रुपये और उधार हो गए हैं, वह चुकाने हैं। 
    मेरे गहन बेहोशी में चले जाने के कारण मुझे बत्रा अस्‍पताल में भर्ती करवाया गया और बहुत कठिनाई से मेरे विरोध करने पर ठीक होने के भी कई दिनों बाद मुझे डिस्‍चार्ज किया गया। मेरे सारे बैंक एकाउंट, पीपीएफ इत्‍यादि से सब पैसे निकालने की साजिश रची गई मेरे मना करने के कारण खाते बंद नहीं किए जा सके वरना वे तो मुझे अपने कंट्रोल में लेना चाह रहे थे, जिससे मैं बच गया। मेरे क्रेडिट कार्डों पर बेटे ने न जाने कितने लोगों को और किस तरह का लेन देन करवाया। मेरे कार्ड वापिस मांगने पर नहीं दिए गए और मेरे ब्‍लाक करवाने पर दोबारा जारी करवा लिए गए और मुझे दे दिए गए और कहां की यूजरनेम और पासवर्ड पुराने वाले हैं,जिससे वे इटरनेट बैंकिंग करते रहे और जब मैंने कोशिश की तो सब खाते लॉक हो गए। मैं दस रुपये भी अपनी मर्जी से खर्च करने को मोहताज रहा। मेरी हालत आज भिखारी जैसी कर दी गई है। 
    मुझे परिवार कोर्ट में जाने के लिए मजबूर होना पडा है। इन सबको बेदखल करवाने के सिवाय कोई रास्‍ता नही बचा है। मुझे सामाजिक बदनामी का डर दिखलाया जा रहा है। जिस परिवार के लिए मैंनें जीवन होम कर दिया, उसको पागल बतलाकर इतना बुरा व्‍यवहार किया जा रहा है। अपनी मां के नाम मकान के लिए सरकारी सेवा से 6 महीने से अधिक अवकाश लिया गया, उन अवकाश के बदले में धन देने की बात हुई, उससे साफ इंकसर कर दिया गया,मेरे वे पैसे पीपीएफ खाते में जमा हो गए होते तो वह आज दस लाख के करीब होते। 
    मैं उस राशि का कानूनी दावा भी पेश करना चाहता हू्ं। 
    क्‍या इसमें कानून मेरी मदद करेगा क्‍योंकि मुझे 2000 लीटर की पानी की टंकी लगाने पर धमकाया गया और मैं अपनी बीमारी में जरूरी कार्यों के लिए परेशान होता रहा। 15000 में खरीदी गई टंकी मकान की छत पर पानी की सप्‍लाई में फिट होने का इंतजार कर मेरी बेबसी की कहानी कह रही है। क्‍या कोई कानूनी जानकार इसमें मेरी सहायता करेगा। Mobjle 8750321868/9560981946 e mail nukkadh@gmail.com

    1 टिप्पणी:

    1. अविनाश भाई , मैंने अभी आपके दोनों नंबरों पर फोन किया किन्तु बात नहीं हो पा रही है ..मेरा नंबर 9871205767 है ..फुर्सत मिलते ही कॉल करें

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