इंसान इंसान का भषण क्‍यों नहीं कर सकता - अविनाश वाचस्‍पति

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  • डरपोक हैं सब
    कुछ तो कहिए
    न कह सकें
    गर तो लाइक
    कीजिए

    आ रहे हैं
    जा रहे हैं
    सोच रहे हैं
    जैसे उनकी
    इस कायराना
    हरकत को
    जिसे वो समझते हैं
    कारनामा
    कोई देख नहीं रहा।



    इंसान को मानवपशु स्‍वीकार किया गया हैा इस स्थिति में दो राज्‍यों में पशुभषण क्‍यों त्‍याज्‍य होा एक सुप्रसद्धि हिन्‍दी कवि ने कहा भी है :

    मानवक्षुधा की एक बूंद तन का दुबलापन खोती है
    इसलिए तुम्‍हें समझाता हूं आराम करो, आराम करो

    कवि जो कह लिख जाते हैा जमाने से लेकर जमाने तक उनका कहा लिखा सनातन सत्‍य होता है और यही तो हो रहा है आधुनिक संदर्भों मेंा जहां पर संदर्भों को दरकिनार कर बावेला मचा हुआ हैा राज्‍य देश प्रदेश कोई भी हो सकते हैंा आप किसी भी संदर्भ में रखकर देख लीजिए सब जगह इनका समर्थन किया हुआ ही मिलेगाा क्‍या हुआ जो हम आप मांसभक्षण नहीं सकते। अब वह पशु बुद्धिधारी इंसान से लेकर बेबबुद्धधारी इंसान तक कोई भी हो सकता है।
    इसलिए इन पर रोक लगाने से रोक होनी चाहिएा अ‍ब मांस चाहे इंसान का हो, गाय का हो, बकरे का या सूअर काा हमारा इनसे भेदभाव करना ठीक नहीं हैा आप तरकारी खाते हैं, शाकाहारी कहलाते हैं - जब तक आपको कोई नहीं रोकता तो इस पर रोक भी तो बाजिव नहीं ठहरतीा

    - अविनाश वाचस्‍पति
    समूह संचालक नुक्‍कड़
    मोबाइल 08750321868ध्‍09213501292

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