ऋतिक का बैंग बैंग धमाका - (200 करोड़ से अधिक बटोरने वाली फिल्‍म की समीक्षा - अविनाश वाचस्‍पति))


बैंग बैंग का धमाका करके,  धमाका जो फिल्‍म के नाम का भी है और मुख्‍य किरदार ऋतिक रोशन का भी। जबकि सब परिचित हैं कि धूम के नाम पर कई बार उधम मचाकर फिल्‍म जगत को रोशन कर चुके ऋतिक ने खूब हंगामा किया है। इस बार उनका यह हंगामा बैंग बैंग नाम से है। जबकि उनकी फिल्‍मों के टाइटिल जब तक नया टाइटिल न मिल जाए, नंबर गेम के साथ सक्रिय कर लिए जाते हैं। विगत में धूम एक धूम दो और धूम 3 और अब बैंग बैंग के बाद उनकी अभिनीत आगामी फिल्‍म के टाइटिल का कयास लगाया जा सकता है कि वह जरूर बैंग बैंग दो होगी।
धूम और बैंग बैंग के नाम पर पब्लिसिटी के तौर उधम पर मचना शुरू हो चुका है और यह प्रचार फिल्‍म को करोड़ों का बिजनेस करने में अवश्‍य ही सहायक बनेगा – यह देखने और महसूसने वाली बात है। म‍हसूस करने वाली बात यह भी है कि बालसुलभ टाइटिल रखकर सफलता पाने का उनका नायाब फार्मूला हिट रहा है। ऐसे लग रहा है कि मानो चेतन भगत का उपन्‍यास हो, जिसको सफलता मिलना तय है।
डर के आगे जीत है, संवाद के साथ फिल्‍म का इंटरवल होता है। दरअसल, फिल्‍म की शुरूआत यहीं से होती है। तकनीक इस कदर समृद्ध हो गई है कि इस प्रकार के रोमांच को सेल्‍लूलाइड पर जीवंत कर लिया जाता है। मैं फिल्‍म में सोता रहा इसकी वजह फिल्‍म का बोर करना नहीं, मुझे नींद आना था। मैं लगभग पूरी फिल्‍म में उनींदेपन का शिकार रहा।
कोहिनूर के भारतीय हीरे की वास्‍तविकता से रची पगी कहानी पर कई फिल्‍मों का निर्माण हो चुका है। वैसे भी हीरा, हीरा ही होता है कांच नहीं, जो किसी के तोड़ने से टूट जाएगा। फिल्‍म इस विषय पर बनाई गई अन्‍य फिल्‍मों की तरह कोहिनूर अपनी जगह पर रहकर ही रोमांच का सृजन करता है। वैसे फिल्‍म का निर्देशक चाहे तो फिल्‍म में कांच भी नहीं टूटता है। कोहिनूर कथा को कारगिल कथा के साथ मिलाकर परवान चढ़ाया गया है। जिनमें सहयोगी रहे हैं पवन मल्‍होत्रा, कंवलजीत और इन दोनों से बातचीत मैं नब्‍बे के दशक में कर चुका हूं जबकि सिनेमा तकनीक इतनी उन्‍नत नहीं थी। दीप्ति नवल ने अपने छोटे से किरदार में खूब असर जमाया है। जफर के किरदार में डैनी पूरी फिल्‍म में वैसे ही जमे हैं जैसे अपनी अन्‍य फिल्‍मों में रंग जमाते रहे हैं। सारी फिल्‍म फ्लैशबैक में है क्‍योंकि ऐसा न सपने में और न हकीकत में होता है जो भी होता है फ्लैशबैक में होता है और जैसा दिमाग में होता है उसके लिए फ्लैशबैक से उत्‍तम कुछ नहीं है।
-    अविनाश वाचस्‍पति
-साहित्‍यकार सदन, 195 पहली मंजिल, सन्‍त नगर, ईस्‍ट ऑफ कैलाश के पास, नई दिल्‍ली 110065 फोन 01141707686/08750321868 ई मेलnukkadh@gmail.com

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