चतुर्थ अंतरराष्ट्रीय परिकल्पना ब्लॉगोत्सव भूटान में 15 से 18 जनवरी 2015 तक
लखनऊ से प्रकाशित"परिकल्पना समय"(हिन्दी मासिक पत्रिका) और "परिकल्पना"(सामाजिक संस्था) के संयुक्त तत्वावधान में प्रकृति की अनुपम छटा से ओतप्रोत दक्षिण एशिया का एक महत्वपूर्ण देश भूटान की राजधानी और सांस्कृतिक राजधानी क्रमश: थिम्पू और पारो में दिनांक 15 से 18 जनवरी 2015 तक चार दिवसीय "चतुर्थ अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन सह परिकल्पना सम्मान समारोह" का आयोजन किया जा रहा है।
इस अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह, आलेख वाचन,चर्चा -परिचर्चा में देश विदेश के अनेक साहित्यकार,चिट्ठाकार,पत्रकार,अध्यापक,संस्कृतिकर्मी,हिंदी प्रचारकों और समीक्षकों की उपस्थिति रहेगी। उल्लेखनीय है, कि ब्लॉग, साहित्य, संस्कृति और भाषा के लिए प्रतिबद्ध संस्था "परिकल्पना" पिछले चार वर्षों से ऐसी युवा विभूतियों को सम्मानित कर रही है जो ब्लॉग लेखन को बढ़ावा देने के साथ-साथ कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। इसके अलावा वह तीन अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलनों का संयोजन भी कर चुकी है जिसका पिछला आयोजन नेपाल की राजधानी काठमाण्डू में किया गया था ।
सम्मेलन का मूल उद्देश्य स्वंयसेवी आधार पर दक्षिण एशिया में ब्लॉग के विकास हेतु पृष्ठभूमि तैयार करना, हिंदी-संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना, भाषायी सौहार्द्रता एवं सांस्कृतिक अध्ययन-पर्यटन का अवसर उपलब्ध कराना आदि है।
इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी का विषय है –"ब्लॉग के माध्यम से दक्षिण एशिया में शांति-सद्भावना की तलाश"। इसके अलावा सुर-सरस्वती और संस्कृति की त्रिवेणी प्रवाहित करती काव्य संध्या भी आयोजित होगी। समस्त प्रतिभागियों को- थिम्पू के उत्तरी किनारे पर स्थित एक महत्वपूर्ण बौद्ध मठ सह गढ़- तशीछों दजोंग के साथ-साथ थिम्फू स्थित फ़ौक हेरिटेज मियूजियम, नेशनल टेकस्टाईल मियूजियम, नेशनल मेमोरियल चोरटेन। दोचूला स्थित कुएंसेल फोड्रंग, मोतीहंग ताकिन प्रिसर्व, चंगङ्घा ल्हाखंग, विकेंड मार्केट तथा पारो स्थित टकटसँग मोनेस्ट्री, रिमपंग द्ज़ोंग, क्यीचू ल्हाखंग आदि स्थलों के अवलोकन का अवसर भी प्राप्त होगा। इस अवसर पर भारतीय संस्कृति को आयामीट करने वाली चित्र प्रदर्शनी भी आम लोगों के लिए उपलब्ध रहेगी। इस यात्रा की सबसे बड़ी विशेषता रहेगी भूटानी व्यंजन के साथ-साथ भारतीय व्यंजन का भरपूर लुत्फ़।
इस आयोजन को भूटान में आयोजित करने के मूल उद्देश्य यह है कि सांस्कृतिक दृष्टि से भारत और भूटान में कई समानताएं हैं । भारत से निकल कर बौद्ध धर्म जहां भूटानी संस्कृति में विलीन हो गया वहीं भारतीय नृत्य शैलियों का यहाँ व्यापक प्रसार हुआ । बौद्ध यहां का मुख्य धर्म है। गेरुए वस्त्र पहने बौद्ध भिक्षु और सोने, संगमरमर व पत्थर से बने बुद्ध यहां आमतौर पर देखे जा सकते हैं। यहां मंदिर में जाने से पहले अपने कपड़ों का विशेष ध्यान रखा जाता है । इन जगहों पर छोटे कपड़े पहन कर आना मना है। भूटान के शास्त्रीय संगीत चीनी, जापानी, भारतीय ओर इंडोनेशिया के संगीत के बहुत समीप जान पड़ता है। यहां अनेकानेक नृत्य शैलियां हैं जो नाटक से जुड़ी हुई हैं। इनमें रामायण का महत्वपूर्ण स्थान है। इन कार्यक्रमों में भारी परिधानों और मुखोटों का प्रयोग किया जाता है। यहाँ अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉग सम्मलेन आयोजित करने के पीछे पवित्र उद्देश्य है हिंदी संस्कृति को भूटानी संस्कृति के करीब लाना और हिंदी भाषा को यहाँ के वैश्विक वातावरण में प्रतिष्ठापित करना ।
ध्यान दें: इसमें शामिल होने के लिए पासपोर्ट की अनिवार्यता नही है।
जो प्रतिभागी इस आयोजन में शामिल होने के इच्छुक हो वे
अन्य जानकारी के लिए लिखें: parikalpnaa00@gmail.com:
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के - चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाऐं !
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई और शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसादर