आर. अनुराधा : न अनु जाता है सृष्टि से न राधा दिलों से (काव्‍यपूरित स्‍मृति)


#‪#‎Anuradha‬
अार. अनुराधा
न अनु जाता है सृष्टि से
न राधा दिलों से
हिंदी ब्‍लॉगरा अनुराधा
ब्‍लॉगों पर अपने सुदृढ़
सकारात्‍मक विचारों के
प्रवाह का हेतु और
बनी थीं सेतु
विचार विनिमय के
नेक रास्‍ते ओपन किए
जिन पर चलकर अनुसरणकर्ता
उनके जीवट से जी रहे हैं
अनुराधा (आर) रिटर्न
तो तब होतीं जब कहीं जातीं
वह तो यहीं हैं
जिंदगी की जीवंत मुस्‍कान के साथ
वो हम सबके दिलों में
राधा के प्रेम के मानिंद
सृष्टि के अनु (अणु)
सब ओर व्‍याप्‍त हैं
शून्‍य से गूंजती ध्‍वनियां
उनकी उपस्थिति
जिसे कोई नहीं नकार सका है
न नकार सकेगा
न नकारना चाहिए
ही इंसानियत है
इंसान की।
उनके आमंत्रण आते रहे हैं
नेक समारोहों के
कुछ में मैं शामिल हुआ
कहीं बेबस भी रहा
दो बरस पहले पुस्‍तक मेले में
प्रगति मैदान के ख्‍यातिलब्‍ध
मंडप में उनका स्‍मार्ट मोबाइल
किसी ने उनकी जेब से सरकाया
उनकी हिम्‍मत देखी
भीड़ ने देखा उनका जज्‍बा
उनके हौसले का साक्षी
मैं भी रहा
मोबाइल फोन चोर न पकड़ा जा सका
सारी सतर्कताओं के बावजूद
उसका न मिलना हैरान नहीं करता
पर मैं मान गया उस दिन
अनुराधा के भीड़ से अलग अस्तित्‍व को
वह प्रेरणा हैं हम सबकी
इस छोटी सी आयु में
किए इतने नेक काम
हर काम बना उनका नेक धाम।

---अविनाश वाचस्‍पति 

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