नुक्‍कड़ प्रकाशन का लोगों : बतलाइए कौन सा पसंद है आपको या कोई भी नहीं

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21 टिप्‍पणियां:

  1. तीन नंबर, दो नंबर से बेहतर है क्‍योंकि‍ सिंपल है, पर एक नंबर तो नहीं ही चलेगा.

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    1. नंबर एक गोल नहीं है और जो गोल है, वही चलेगा ।

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  2. Firs of all, sorry for not commenting in Hindi. I am compelled to comment in english at present but I think you don't have any such compulsion for your logo. If you still prefer it in english, 3rd one is best of the 3. But, in my view 'parkashan' should be replaced by 'prakashan.'

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    1. संजय भाई आपका कहना दुरुस्त है ।

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    2. मेरे कथन को सही परिपेक्ष्य में लेने के लिये धन्यवाद अविनाश जी।

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    3. मुझे पूरा विश्वास है, आपका प्रकाशन देवनागरी लिपि में ही होगा, फिर सिर्फ रोमन लिपि का प्रयोग क्यों ?
      हिंदी की सेवा अगर करना है तो देवनागरी लिपि आवश्यक है, मेरा यही मानना है बाकी आपकी मर्ज़ी।
      इसलिए मुझे इन तीनों में से कोई भी नहीं पसंद है।

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    4. इसे द्वि
      भाषी बनाया जाएगा। अभी तो सिर्फ डिजाइन का प्रारूप मुख्‍य है।

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    5. Logo आप देवनागरी में बनाईये, दूसरा नंबर कुछ हद तक सही लगेगा, कारण इसमें प्रकाशन का अर्थ और उद्देश्य निहित है।
      थोड़ी सी फेर बदल और कीजिये, New Delhi की जो पूँछ सी निकली है उसे कलम का रूप दीजिये। दूसरी पुस्तक जो आपने बनायी है From 2012 के लिए, यहाँ आप एक ही चिन्ह को दोबारा बना रहे हैं, इसकी जगह कुछ और सोचिये, आपकी प्रकाशन संस्था का के उद्देश्य क्या हैं, उसे दिखाईये, जैसे अपने लेखकों को और स्वयं को भी आगे बढ़ाना , ऊँचाई छूना, ज्ञान की ज्योति इत्यादि के प्रतीक आप डाल सकते हैं। इस तरह आप पुस्तक, कलम, कला, ज्ञान इत्यादि के प्रतीकों का समावेश कर सकते हैं। आप क्रांति के रंग, शांति के रंग, इत्यादि रंगों का प्रयोग कर सकते हैं।

      द्विभाषी बनाने का अर्थ समझ में नहीं आया। क्योंकि लिख तो आप 'प्रकाशन' रहे हैं, इसलिए सिर्फ अंग्रेजी जानने वालों के लिए इसका कोई मतलब नहीं है। हाँ अंग्रेजी भाषियों के लिए आप दूसरा लोगो बनाईये जिसमें 'Publication ' लिखिए फिर तो बात समझ में आती है।

      Logo सिर्फ Logo नहीं होना चाहिए, ख़ास करके जहाँ साहित्य और कला जैसी विधाओं को दिखाने और आगे बढाने का काम किया जाता हो। आप अपने Logo के बारे में बात कर सकते हैं, उसे परिभाषित कर सकते हैं, Logoऐसा होना चाहिए।
      मैं ऐसा सोचती हूँ, बाकि आप को जो उचित लगे आप कीजिये।

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    6. तीसरे नंबर के logo को अगर आप अपने काम के लिए परिभाषित कर सकते हैं, तो वो भी ठीक रहेगा, थोड़ी फेर-बदल उसमें भी कीजिये। मसलन बहुत ही साधारण किन्तु उद्देश्यपूर्ण प्रतीक डाल कर आप इसका भी उपयोग कर सकते हैं। जैसे बीच में जो आपने एक वृत्त और दो अर्धचन्द्र बनाए हैं, उसे आप पुस्तक के दो पृष्ठ और और अंत में पूरी पुस्तक बना सकते हैं।

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  3. ...तीन ही होगा नम्बर वन,हिन्दी में !

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    1. नंबर तीन ही बजाएगा
      लेखकों को लूटने वाले
      प्रकाशकों की बीन
      रतन भाई।

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  5. नंबर तीन ही बजाएगा
    लेखकों को लूटने वाले
    प्रकाशकों की बीन
    सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

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    1. हम अपने इस लोगों को हिन्‍दी और अंग्रेजी के द्विभाषी रूप में ही बनाएंगे, पहले एक बार डिजाइन पर सर्वसम्‍मति बन जाए।

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  6. अविनाश जी,

    लोगो 2 और 3 दोनों ही अच्छे है, 2 नम्बरी के रंग विन्यास को यदि मृदुल और सौम्य बनाया जाए तो
    वो भी पुनः चयन सुझाव हेतु प्रस्तुत किया जा सकती है।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  7. तीसरा ही सबसे ज्यादा जंच रहा है हमें तो , द्विभाषी हो तो भी चलेगा अन्यथा एक भाषा के लिए तो देवनागिरी को ही चुना जाए

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