आप देख रहे हैं इन महाशय को
पहले फेसबुक पर इनका खाता था
खाते पर खूब पीने वालों का कब्जा था
जो दरवाजा था उसकी चौखट में कब्जा नहीं था
वैसे सब पीने वालों के दिमाग के कब्जे हिल चुके थे
कुछ चरमरा रहे थे
कुछ को तेल भी पिलाया था
परंतु वे कब्जे दारू दारू चिल्ला रहे थे
सब दारूबाजों ने अपने अपने गुट बना लिए
कुछ गुरु बन गए और चेले फंसा लिए
कुछ अन्नाबाबा जैसे थे जो फेसबुक पर हंस हंसा लिए
फिर भी चौबीस घंटे पीने वाले अब भी बहुत हैं
कुछ बिल्डर हैं, कुछ मास्टर हैं, कुछ डॉक्टर हैं
कुछ सिलवाते हैं, कुछ बोतल के ढक्कन खोलते नजर आते हैं
सारा देश चकरा रहा है
इतना आबकारी कर कहां से आ रहा है
फेसबुक पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है
फेसबुक आजकल दारूबुक बनती जा रही है
जहां देखों वहां महफिल जमती नजर आ रही है
कुछ त्यागी हैं बाकी सब मोह त्याग दिए हैं
कुछ जोशी हैं उन्हें नहीं होश है, बस पीने का जोश है
कुछ कांडपाल हैं, वे दारूपाल रहे हैं
कुछ सुधीर सुध बुध खो बैठे हैं
कितने ही ओझा लाईन में मौजूद बैठे हैं
लगता है देश दारू से चल रहा है
आम आदमी न जाने क्यों पानी पानी कर रहा है
कुछ पैट्रोल पैट्रोल कर रहे हैं
कुछ डीजल में जल की खोज में जुटे हैं
न जाने पानी के चक्कर में
फेसबुक पर कितने सिर फूटे हैं
कहीं पड़ रहे बिजली के टोटे हैं
अंधेरे में टकरा रहे हैं
सिर फुटवा कर आ रहे हैं
देखने वाले सोच रहे हैं
पीकर आ रहे हैं
पर इंतहा पीने वालों की यही होती है
अन्नाबाबा ने जान लिया है
उनके सभी साथियों ने अच्छे से पहचान लिया है
जिसने नहीं उनकी बात पर कान दिया है
उनका तो अब यही हाल होना है
दारूबाजों का तो नाली ही बिछौना है
उनकी किस्मत में लिखा गीले में ही सोना है
गले को तर रखना है
बतर रखना है
पर अन्नाबाबा की बात को यूं समझ लो
हर बुरी चीज थोड़ी ही अच्छी होती है
लत हो दारू की
या हो फुसबुक की बुरी होती है
न फेसबुक होता
न हमारा एक साथी यूं बदनाम होता
सब मुंह छिपा रहे हैं
अपना नहीं जो मौजूद नहीं है
उसी का नाम लगा रहे हैं।
बाबा ... कही ये हाल अपने राजीव जी के तो नहीं है . दरवाजे , कब्जे , खिडकी .. सब कुछ उन्ही का है...
जवाब देंहटाएंखैर jokes apart.. आपने बहुत सच्ची बात लिखा है अविनाश जी . यही तो हो रहा है ..
आजकल आप हमारे ब्लॉग पर दर्शन नहीं दे रहे है .. चेलो से नाराज़ रहियेगा तो कैसा होंगा गुरुदेव,
विजय भाई, नाराजगी में भी राज छिपा है। जल्दी ही खोलेंगे। तब ही फेसबुक का लॉक खोलेंगे।
जवाब देंहटाएंपर अन्नाबाबा की बात को यूं समझ लो
जवाब देंहटाएंहर बुरी चीज थोड़ी ही अच्छी होती है
लत हो दारू की
या हो फुसबुक की बुरी होती है
बढ़िया निष्कर्ष है अव्वल पोस्ट है .शुक्रिया ज़नाब का .
यह फोटो कुछ जानी पहचानी-सी लग रही है !
जवाब देंहटाएंपियक्कड़ो का देश होता जा रहा है भाईसाहब जी .और भी बुरे ऐब लगते जा रहे है . युवा पीढ़ी गुमराह होती जा रही है. नशा शराब से बहुत आगे निकल चुका है. पैसो का जमकर दुरुपयोग हो रहा है. ये खुद मरेंगे , और ना पीने वालो को भी ले डूबेंगे. बंदर की नक़ल कर रहे है सब. हम फिर बंदर होते जा रहे है . . . . . . विनाश जारी है . . . . . . कौन रोकेगा इन पियक्कड़ो को जी . . . . . समाज मे भयंकर रोग पर तीखा कटाक्ष . . . . . बहुत खूब जी .
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