अभिव्‍यक्ति और आपत्ति प्रकट करना हिंदी ब्‍लॉगरों का अधिकार है : सम्‍मान की सूची पर हम चुप नहीं रहेंगे

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • जी हां, हिंदी ब्‍लॉगर हैं हम
    बहुत कम हमें कहते हैं
    हिंदी चिट्ठाकार ।

    जबकि चिट्ठी लेखन से ही
    आदिकाल में हुई
    लेखन की शुरूआत ।

    यह ब्‍लॉग
    वह ब्‍लॉग
    यह अबला
    वह बावला
    मैं सबला
    आंवला हितकारी है
    नहीं व्‍यापारी है।

    इसे सब जानते हैं
    आंवले को पहचानते हैं
    आंवला सर्वउपयोगी है
    आंवले का पुरस्‍कार
    सामने वाला का
    सम्‍मान है ।

    कड़वा करेला भी
    उपयोगिता की
    सर्वमान्‍य पहचान है।

    जो नहीं समझ पाया
    यह सत्‍य
    क्‍या वह नादान है
    जी नहीं,
    उसने भी आपत्ति
    प्रकट करके
    सामने वाले की
    अभिव्‍यक्ति को
    निखारा है ।

    निखारना और तराशना
    अभिव्‍यक्ति और आपत्ति
    का सुफल है
    फल जरूरी नहीं
    मीठा ही हो ।

    करेला चाहे सब्‍जी है
    पर हितकारी फल देती है
    कड़वी होती है
    पर ग्रहण सबको नहीं होती है ।

    कड़वाहट बुराई नहीं है
    मीठापन सदैव अच्‍छाई नहीं है
    जो मीठा है उसमें दुश्‍मन भी है
    जो कड़वा है वह हितचिंतक है ।

    कड़वा, मीठा, खट्टा, कसैला
    तीखा स्‍वाद भी सभी चाहिए
    हिंन्‍दी चिट्ठाकारी को बढ़ाने के लिए
    नुस्‍खे  आजमाने चाहिए

    वही तो आजमा रहे हैं
    हम तो मजमा लगा रहे हैं
    पर हमें मदारी मत समझना
    हम नकद हैं
    हमें उधारी न समझना

    पर अपनी समझ पर
    कभी संशय मत करना
    विश्‍वास जरूरी है
    सूची पर
    निर्णायक मंडल पर
    पुरस्‍कार पर
    सम्‍मान पर
    रवीन्‍द्र प्रभात के
    इस ब्‍लॉगहितकारी
    आवाह्न पर।

    संदर्भ : परिकल्पना सम्मान हेतु नामांकित ब्लोगर्स की सूची प्रतिक्रियास्‍वरूप त्‍वरित टिप्‍पणी। 

    11 टिप्‍पणियां:

    1. आपके हेडलाइन को पढ़कर तो मेरे होश उड़ गए थे, की आखिर कहाँ हो गयी इस नाचीज से गलती....मगर जैसे-जैसे आपकी प्रतिक्रिया से रूबरू हुआ, मोकैम्बो खुश हुआ ।

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      उत्तर
      1. होश उड़ते हैं
        वापिस आते हैं
        बेहोश होते हैं
        समझ गंवाते हैं

        धीरज न खोएं गर चिट्ठाकार
        होगा जरूर ब्‍लॉगिंग का बेड़ापार।

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    2. पुरस्कार हैं अनोखे
      पहले नहीं हैं देखे ,
      प्रभात ने हैं खोले
      नए-नए झरोखे :-)

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      उत्तर
      1. धोखे से अच्‍छे
        हैं अनोखे लाल
        ब्‍लॉगिंग में ही
        उड़ेंगे सर के बाल।

        हटाएं
    3. उत्तर
      1. सच्‍ची बात सदैव अच्‍छी ही लगती है।
        यह अच्‍छे मन का सहज स्‍वभाव है।

        हटाएं
    4. अविनाश वाचस्पति जी,

      आपका लिखा मैंने बहुत कम पढ़ा है .... जितना पढ़ा है... स्तरीय है.

      ब्लॉगजगत में यूँ ही नहीं है आपका सम्मान... आपकी प्रतिक्रियाओं को पढ़कर आपके लेखन की उच्चता का अंदाजा लग जाता है.

      रविन्द्र प्रभात जी के 'सम्मान' प्रयाओं पर आपकी ये अतिउत्तम काव्यात्मक टिप्पणी है. साधु.

      जवाब देंहटाएं

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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