दिल्‍ली एमसीडी चुनावों में वोट देकर भी वोट नहीं दिया है मैंने

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • विकास और विसंगति मिटाने का यह तरीका मुझे पसंद नहीं है। मैंने जाना है कि वोट देकर या न देकर भी हम अपनी बात नहीं कह पा रहे थे। ऐसे में 'किसी को भी वोट न देने का विकल्‍प' पसंद आया और मैंने आज उसका प्रयोग कर लिया है। 
    जबकि वोट देने से मैं मात्र 2 मिनिट में वापिस आ जाता और किसी भी उम्‍मीदवार/पार्टी को भी वोट न देने की प्रक्रिया अभी तो इतनी उलझन भरी है कि नवभारत टाइम्‍स की कतरन दिखलाने और फिर वार्ड के अधिकारी महोदय द्वारा संबंधित अधिकारी से बात करने पर ही यह प्रक्रिया लगभग 10 से 15 मिनिट में पूरी हो पाई। इस संबंध में आवेदन के लिए कोई प्रोफार्मा नहीं है जिसके कारण अलग से कागज पर लिखकर देना पड़ा। रजिस्‍टर में भी इस बाबत लिखकर दोबारा से हस्‍ताक्षर किए। 
    यह सुविधा अच्‍छी है। अब बहुत से लोग अपनी नापसंदगी भी जाहिर कर सकेंगे। फेसबुक पर चाहे अभी नापसंदगी का बटन नहीं आया है लेकिन दिल्‍ली चुनावों में यह सुविधा देकर एक अच्‍छी शुरूआत की गई है। कामना करता हूं कि जल्‍दी ही वोटिंग प्रक्रिया इंटरनेट के जरिए उपलब्‍ध हो जाएगी, जिससे वोटिंग प्रतिशत भी बढ़ेगा। 

    जनता सिर्फ ख्‍याति प्राप्‍त पार्टियों और उनके उम्‍मीदवारों के बारे में ही जान पाती है। उनके कामों के बारे में कुछ जान पाते हैं क्‍योंकि अधिक वे करते नहीं हैं। जनता के चक्‍कर लगाने वाले उम्‍मीदवार/पार्टी तक उनकी विजय के बाद उनके पास तक आम जनता का पहुंचना ही दूभर हो जाता है और काम या विकास की तो बात छोड़ ही दीजिए।  जितनी पार्टियां और उम्‍मीदवार चुनाव में खड़े होते हैं, वे जनता तक अपनी पहुंच बना नहीं पाते हैं। 

    मेरा सुझाव यह भी है कि एक वार्ड में एक मंच का व्‍यवस्‍था की ओर से गठन किया जाए और प्रचार के दौरान कुछ निश्चित समयों पर सभी उम्‍मीदवार पहले से तय समय पर आकर सब अपने बारे में बतलाएं। तब शायद कुछ बेहतर होने की उम्‍मीद जगे। 

    पहले कदम के तौर पर दिल्‍ली स्‍टेट इलेक्‍शन कमीशन के इस प्रयास की मैं सराहना करता हूं, जो निश्चित ही प्रक्रिया में सुधार की उम्‍मीद जगाती है। यही व्‍यवस्‍था देशभर के सभी प्रकार के चुनावों में लागू की जानी चाहिए।
    अविनाश वाचस्‍पति
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    6 टिप्‍पणियां:

    1. मुबारक हो .. इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए

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      1. हमें उम्‍मीदवार/पार्टी पर विश्‍वास न होने अथवा पूरी जानकारी न होने पर इसका प्रयोग अवश्‍य करना चाहिए।

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    2. अविनाश जी, यह हक़ तो बहुत पहले से हैं... पर अफ़सोस की बात है कि वोटर ही नहीं बल्कि अधिकारीयों को भी इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं होती है...

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      1. प्रिय शाहनवाज भाई, मुझे आज ही जानकारी हुई और मैंने प्रयोग कर लिया है। इसकी जानकारी जनता तक पहुंचाने की मुहिम अवश्‍य हम सबको मिलकर चलानी होगी।

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    3. जानकारी तो मुझे है,पर भोट दे ही दिया,हमें माफ करना !

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      1. माफ तो आपने किया है उम्‍मीदवारों/नाकारा पार्टियों को वोट देकर।

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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