एक पत्र गूगल बाबा के नाम

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  • Sumit Pratap Singh
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  • प्यारे गूगल बाबा 
               सादर खोजस्ते!
    आपके खोजूपन को नमन करते हुए पत्र प्रारंभ करता हूँ. वैसे आपके मन में यह उधेड़बुन चल रही होगी कि मैं तो आपसे रोज ही तो मिलता हूँ फिर भला यह पत्र लिखने की जरूरत कैसे पड़ गई. तो आपको साफ-साफ बताना चाहता हूँ, कि जब भी आपसे मुलाकात होती है तो बस अपने ही मतलब की बात होती है. अपना काम निपटा कर आपसे विदा ले लेता हूँ और आप मन मसोस कर रह जाते हैं. आज इसकी भरपाई करने के लिए पत्र रूप में आपके सामने हाजिर हूँ. गूगल बाबा जब से आपकी कृपा मुझ गरीब पर हुई है, तबसे जीवन सुखमय बीत रहा है.

     
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