कुछ तेरी कुछ मेरी है ये इक कहानी
आ सुनें सुनायें सखी इक दूजे की जुबानी
तुम्हारे नाम / मेरे नाम
अब मिलना है तो इस लिंक तक तो जाना ही पडेगा ना :)
http://urvija.parikalpnaa.com/2012/02/blog-post_13.html
http://urvija.parikalpnaa.com/2012/02/blog-post_13.html
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
आपके आने के लिए धन्यवाद
लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद