पिछले कुछ समय से तमाम सामाजिक गतिविधियों और व्यक्तिगत कारणों से चिट्ठाकारिता से दूर रहना पड़ा। इस बीच फेसबुक पर भ्रष्टाचार और सरकारी अनाचार के खिलाफ वैचारिक लड़ाई लड़ता रहा और धरातल पर भी यथासंभव सक्रिय रहा... महसूस हुआ कि फेसबुक पर लिखना नेकी कर कुएं मे डालने जैसा है । दो तीन दिन बाद आपका लिखा हुआ न तो खुद के लिए देखना आसान रहता है और न ही कोई और देखना पसंद करता है .... इस लिए अपने चिट्ठे पर अपने विचारों को सुरक्षित रखना आवश्यक है। नए वर्ष पर नयी उमंग के साथ चिट्ठाकारिता अपने नए शिखर की ओर अग्रसर होगी ऐसी आशा के साथ पुनः मैदान मे... आपका पद्म सिंह
मेरी नयी पोस्ट पढ़ें मेरे प्राथमिक ब्लॉग पर
मंहगाई सर पे चढ़ी फिर उछला पेट्रोल
सरकारी वादे सभी बने ढ़ोल के पोल
भूखा मारे गरीब और सड़ता रहे अनाज
देश नोच कर खा रहे सत्ताधारी बाज़
सत्ताधारी बाज़ कयामत जैसे आई
जीना दूभर हुआ चढ़ी सर पे मंहगाई
नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ पुनः चिट्ठाकारिता के मैदान मे...
Posted on by Padm Singh in
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achhi rachna hae .
जवाब देंहटाएंलौट के बुद्धू घर पर आये...:)
जवाब देंहटाएंस्वागत है पद्म भाई...
ब्लॉग छोड़ कर लोग फेसबुक पर जा रहे हैं जैसे भारतीय अमेरिका में ।
जवाब देंहटाएंलेकिन अब भारत में भी मेडिकल टूरिज्म बढ़ने लगा है ।
अच्छा है , आप वापस आ गए । यहाँ कुछ तो सेनिटी है ।
नव वर्ष की शुभकामनायें ।
Dr daralji ek someone .... Website ka link nukkadh ki right side me lagaya hai, aap sabke liye bahut upyogi hai.
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