हिन्दी के बारे में पढ़ाया गया था कि पहले-पहल हिन्दी, खड़ीबोली
के रूप में दिल्ली व इसके आस-पास के क्षेत्र में पनपी थी.
ध्यान से देखने पर पता चलता है कि इस क्षेत्र में मूलत: रहने वाले
लोग अपने-अपने घरों में हरियाणवी, ब्रज व दक्षिण उत्तर प्रदेशीय ज़ुबानों में बात करते
हैं. थोड़ा इधर-उधर देखें तो लोग पंजाबी, डोगरी, सिंधी, पहाड़ी, राजस्थानी, गढ़वाली, कुमांउनी,
अवधी, मगधी आदि बोलते दिखाई देते हैं. हिन्दी वाले इन्हें बोलियां, उपबोलियों, उपभाषाएं
आदि बताते हैं न कि भाषाएं. कुछ अपना साहित्य लिख, भाषा के दर्ज़े की होड़ में लगी रहती हैं. दिल्ली जैसे नगरों में बसने वाले लोग अपने घरों में पंजाबी, सिंधी, अवधी, मगधी,
गुजराती, तमिल, तेलुगू व दूसरी अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं. कुछ, जो पूर्वजों की भाषाओं
से विलग हो रहे हैं, घर में भी हिन्दी अपना लेते हैं. अलग अलग नगरों में हिन्दी अलग तरह से बोली जाती है.
यहां लोग घर के बाहर हिन्दी बोलते हैं व दफ़्तरों बगैहरा में अंग्रेज़ी में भी बात/काम करते
हैं.
नगरों में अंग्रेज़ी माध्यम वाले स्कूलों से निकलने वाली पीढ़ी एक
नई ही हिन्दी को जन्म दे रही है. राजभाषा के नाम पर जो सरंक्षण इसे मिला है वह काग़ज़
पर ही है. पता नहीं कितनी दूर और कितनी देर तक चलेगी हिन्दी.
ऐसे में सवाल उठता है कि आख़िर हिन्दी किसकी भाषा है. क्या हिन्दी
किसी की भाषा है भी या बस यह एक कृत्रिम भाषा भर है. मुझे पता है कि ये सवाल उठते ही
हिन्दी-सेवक झंडाबरदारी पर उतरे ही समझो.
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-काजल कुमार
नए साल में ज़रूरी सवाल !
जवाब देंहटाएंsarthak lekh hae
जवाब देंहटाएंआपने भी यह आलेख सरल-सहज हिन्दी भाषा में लिखा है .इसलिए यह आपकी भी भाषा है .भारतीय भाषाओं के बगीचे में कई रंग-बिरंगे सुंदर फूल खिले हुए हैं .हिन्दी भी उनमें से एक है. भाषायी विविधता के बावजूद हिन्दी भारतीयों की एकता की भाषा है .
जवाब देंहटाएंहिंदी किस की भाषा है ?
जवाब देंहटाएं---के बेरा ! :)