हर नुक्‍कड़ पर आग लगी है, हाथ सेकने चलते हैं : चौराहा, मोहल्‍ला और कस्‍बा

नुक्‍कड़ नुक्‍कड़ आग लगी है
सर्दी में आग अच्‍छी  भली  है

अविनाश वाचस्‍पति नुक्‍कड़
आज लोहड़ी है, संक्रांति है
आज नहीं तो कल
मत हो बेकल
शुभ की कामना कर
होकर अविचल
नेकी कर कुंए में मत डाल
कुंआ कहां ढूंढेंगा
मिलेगा नहीं
इसलिए नेकी कर
भूल जा
सारा जहां है अच्‍छा।

आग लगी है
जी आग लगी है
जी में आग लगी है
2 जी में आग लगी है
3 जी में आग लगी है
4 जी में आग लगेगी
जी को अपने बचा

चंडीदत्‍त शुक्‍ल चौराहा, राह बंद है
नेकी कर
दरिया में डाल
दरिया भी न मिले
तो दिल को बना दरिया
उस दरिया को मान ले दरी
और बिछा ले
हर नुक्‍कड़ पर
चौपाल जमा
हर चौराहे पर
एक चौराहे पर मिलेंगे
चंडीदत्‍त शुक्‍ल
वह कहेंगे अहा जिंदगी
मौहल्‍ले पर बिछा
वहां मिलेंगे
अविनाश दास मोहल्‍लालाइव
अविनाश दास
होंगे उदास
मोहल्‍ले में न हो हल्‍ला
तो भरेगा कैसे गल्‍ला
गल्‍ला जो नोटों का नहीं
विचारों का है
कस्‍बे पर आ
रवीश कुमार मिलेंगे
टीवी पर विचार तापते मिलेंगे

नुक्‍कड़
चौराहा
मोहल्‍ला
और
कस्‍बा
रवीश कुमार कस्‍बाधारक
मिलकर बनता है
सुखद जहां
जहां में रहता है इंसान
इंसान को हैवान मत बना
इंसान ही रहने दे

शुभ कामनाएं चाहे मत दे
पर शुभ कर्म में कमी मत रहने दे
आग की ताप में नमी मत रहने दे
ताप ले
ताप दे
विचारों का प्रताप दे।

11 टिप्‍पणियां:

  1. लोहड़ी के साथ-साथ मकर संक्रान्ति की भी शुभकामनाएँ!

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  2. बहुत गज़ब का प्रवचन दिया है,
    हमारा तो सारा ताप हर लिया है !!

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  3. सुन्दर , अति सुन्दर , आभार.

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  4. ले लो जी, ले लो, हमारी भी लोहड़ी के साथ-साथ मकर संक्रान्ति की शुभकामनायें ले लो!

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