प्रिय मित्रो
सादर ब्लॉगस्ते!
साथियों आज से लगभग ढाई हज़ार साल पहले (327 ई.पू.) तक्षशिला के राजा आम्भी (भारत का पहला गद्दार) के सहयोग से यूनानी राजा सिकंदर ने राजा पुरु (पोरस) पर हमला बोला. इसे राजा पुरु का दुर्भाग्य कहें या फिर सिकंदर का सौभाग्य कि युद्ध के दौरान बर्फीला तूफ़ान आरंभ हुआ और राजा पुरु की सेना जीतते-जीतते हार गई. राजा पुरु के साथ युद्ध में सिकंदर की सेना की ऐसी हालत हुई कि जब सिकंदर ने आगे बढ़कर मगध राज्य पर हमला करने के बारे में सोचा तो यूनानियों ने विद्रोह कर आगे बढ़ने से इनकार कर दिया. सिकंदर ने बहुत कोशिश की आपने सैनिकों को समझाने की, किन्तु वे सब मगध जैसे शक्तिशाली राज्य के बारे में सुनकर बहुत घबराए हुए थे सो उन्होंने सिकंदर की बात मानने से साफ़ इनकार कर दिया. आखिरकार विवश हो व विश्व विजय का सपना अपने दिल में ही संजोये सिकंदर उदास हो वापस अपने देश को लौट पडा. रास्ते में ही उसे मच्छर मियाँ के कोप का शिकार बनना पड़ा और वह बेचारा मलेरिया से बेमौत ही मारा गया. आइये साथियो आज मिलते हैं उसी मगध राज्य (आधुनिक बिहार) की रश्मि प्रभा जी से जो पुणे में रहते हुए भी हिंदी की सेवा में रत हैं.
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