गिरते घर , मरते लोग

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  • राजीव गुप्ता
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  • राजीव गुप्ता ( लेखक )
    मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में "मकान" की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है ! हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि सिर ढकने के लिए एक छत  अर्थात उसका  " अपना आशियाना "  हो जहां उसका परिवार प्रफ्फुलित एवं पल्लवित हो और इसी की  जद्दोजेहद में मनुष्य अपने जीवन की अधिकतम आयु लगा देता है परन्तु जब यही आशियाना चाहे कारण कोई भी हो उसके अपनों की जान पर बन आये तो स्वाभाविकतः वह टूट जायेगा ! कुछ ऐसा ही हादसा वेस्ट दिल्ली के उत्तम नगर में रहने वाले गगन पाठक के परिवार के साथ हुआ !  गौरतलब है कि शनिवार ( दिसंबर , 2011 ) की सुबह अचानक चार मंजिला मकान के भरभराकर गिर जाने से लगभग चार लोग मौत की नींद में सो गए जिसमे से तीन लोग ( माँ पत्नी और बेटी ) तो गगन पाठक के परिवार के ही थे,  और लगभग दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए ! ललिता पार्क ( 15   नवम्बर, 2011 , पूर्वी दिल्ली ) और चांदनी महल ( 27 सितम्बर, 2011 , दरिया गंज ) के बिल्डिंग - हादसों के बाद यह तीसरा बड़ा हादसा था ! अब फिर से वही सरकार का स्क्रिपटिड ड्रामा शुरू हो जायेगा नेताओं का दौरा होगा , मृतकों के परिजनों से हमदर्दीमुआवजे का ऐलानविजिलेंस जांच के आदेशइंजिनियरों का सस्पेंशनदोषियों को कड़ी सजा का आश्वासन और भविष्य में ऐसी घटना न होने देने का संकल्प आदि - आदि ! 


    एम्.सी.डी की वेबसाइड पर जारी सूची के अनुसार  27  मई 2010  से लेकर दिसंबर  2011  तक लगभग 190 ऐसी कॉलोनियां है  जो कि अनधिकृत रूप से बनायीं गयी हैं ! दिल्ली जो कि भारत की राजधानी है अगर फिर भी अनाधिकृत कौलिनायों का निर्माण हुआ है / हो रहा है यह इतना मत्वपूर्ण विषय नहीं है असली मुद्दा यह है कि किस विभाग की लापरवाही से ये अनाधिकृत निर्माण हुआ है / हो रहा है ?  लोगों का तर्क है कि एमसीडी नक्शा पास नहीं करती पर हमें तो रहने के लिए मकान चाहिए इसलिए हमें रिश्वत देने से भी कोई परहेज नहीं है ! वही एमसीडी का कहना है कि हमने कड़े नियम बनाए हैं लेकिन पुलिस इस व्यवस्था को घूस लेकर खराब कर रही है !  हम तो अवैध निर्माण गिराना चाहते हैं लेकिन पुलिस हमारा साथ ही नहीं देती ! अगर पीडब्ल्यूडी या डीडीए की कमी से कहीं अवैध निर्माण हुआ है तो झट से एमसीडी में सत्तारूढ़ बीजेपी के नेता कांग्रेस -  सरकार के खिलाफ  मोर्चा खोल देते हैं परन्तु अगर इससे उल्टा होता है अर्थात ललिता पार्क या चांदनी महल में कोई मकान गिरता है तो फिर दिल्ली सरकार और केंद्र के कांग्रेसी नेता एमसीडी को कठघरे में खड़ा कर देते हैं ! अर्थात लाशों पर भी राजनेता अपनी राजनीति चमकाने से गुरेज नहीं करते ! 


    एक जगह मैंने पढ़ा है कि 1977 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले ईस्ट दिल्ली के वेलकम इलाके में सरकारी जमीन पर  रातों-रात सैकड़ों झुग्गियां एक साथ बसा दी गईं थी क्योंकि मामला वोट का था ! विरोध करने वाले विरोध करते रह गए वह कॉलोनी वहां हमेशा के लिए बसनी थी और बस गई !  यह तो मात्र एक उदहारण है ! दिल्ली में जाने कितने ऐसे उदहारण  मिल जायेंगे जहां वोट की राजनीति के चलते कॉलोनियां हमेशा के लिए बसा दी जाती है ! ऐसी अवैध कॉलोनियों को बसाना और फिर पास कराना कोई नया काम नहीं है ! इस धंधे में पहले राजनेता उन्हें अपनी जीत के लिए बसाते है फिर उनसे  "नोट" लेकर अपना मुआवजा आगे पढने के लिए क्लिक करें 

                                                                                                                                      













     
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