धीरज दूध की डेयरी पर खड़ा दोस्तों के साथ गप्प मार रहा था. किसी भी लड़की को बात ही बात में चरित्रहीन कर देना उसकी बुरी आदत थी. अभी किसी बात पर बहस हो ही रही थी कि सामने से एक लड़की आती हुई दिखी. धीरज अपनी आदतानुसार शुरू हो गया, " पता है कल्लू वो जो सामने से लड़की आ रही है न. उससे मेरी दोस्ती करीब एक साल तक रही. हम दोनों ने साथ-२ खूब मस्ती की." आगे पढ़ें...
चरित्रहीन (लघु कथा)
Posted on by Sumit Pratap Singh in