संत नगर में भई रे, ब्लॉगरन की भीर (भीड़)
चले समोसे, ढोकला, मिल ना पाई खीर
पद्म जी कोने में जा, लें शरबत, नमकीन
बात में सब उलझ गये, फिर भी हुई न देर
इंदु पुरी को फोन पर, बेटी मारे टेर
पद्म सिंह के हाथ से, छूटा न था लैपटॉप
अन्ना
चाचू फोन से, करन लगे जी टॉक
संतोष जी और अपन, लगे पियन फिर चाय
सब बोले तब जोर से, एक मिलन हो जाय
चर्चा फिर होने लगी, जोर लगा के खूब
जगी नई संभावना, उगी प्रेम की दूब
रिश्ता बना एक नया, अच्छा कितना नैट
सबने यह वादा किया, रोज़ करेंगे चैट
फेसबुक या गूगल पर, होगी सबसे बात
चलो
ख़तम होती यहीं, आज की मुलाक़ात...
प्यारे चिट्ठाकार साथियो अपन थोड़ी बहुत कविताबाजी भी कर लेते हैं.
पढ़ना हो तो पधारें http://sumit-ke-tadke.blogspot.com/ पर...
एक नया हिंदी चिट्ठा : पधारिए इस पर भी साथियो
तुम्हारे हवाले चिट्ठावतन बिना वेतन के ही साथियो
नमस्ते मैं हूं कलम घिस्सी, चाहे मैंने पैंसिल घिस दी है...
एक नया हिंदी चिट्ठा : पधारिए इस पर भी साथियो
तुम्हारे हवाले चिट्ठावतन बिना वेतन के ही साथियो
नमस्ते मैं हूं कलम घिस्सी, चाहे मैंने पैंसिल घिस दी है...
वाह ये भी बढ़िया रही जी.
जवाब देंहटाएंबढिया मुलाकात रही
जवाब देंहटाएंअन्ना भाई जिन्दाबाद
वाह ...
जवाब देंहटाएंवाह ये मुलाकात तो बहुत रोचक रही…………और अन्दाज़ भी बहुत बढिया रहा।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया साथियो...
जवाब देंहटाएंmazedaar vaah kyaa baat hai
जवाब देंहटाएंवाह - वाह .. अत्यंत आवश्यक था यह कार्य.
जवाब देंहटाएंअविनाश जी के शीघ्र स्वास्थ्यलाभ के लिये कामना है. आप अपनी पुरे उर्जा के साथ हमारे साथ शामिल हों, इसका बेसब्री से इन्तेज़ार है.
आपके चिट्ठाकार-मिलन के समाचार पढ़ कर ही हम कल्पित स्वप्न देख खुश हो लेते हैं... तन से तो हाजिर नहीं हो पाते, मन ही मन मिल लेते हैं...
जवाब देंहटाएंवाह वाह.... आपने तो कच्चा चिट्ठा रख दिया पक्के अंदाज़ मे .... भाई समोसे ढोकलों के साथ शिकंजी और नमकीन बिस्कित भी तो था... उनके साथ अन्याय क्यों :)
जवाब देंहटाएंकलम घिस्सी को बहुत बहुत बधाई... बस एक आगाह कर देना चाहता हूँ॥ कलम ही घिसे दिमाग न घिसे नहीं तो खामखा घिस जाएगा :) बहुत बहुत स्नेह और शुभ कामनाएँ कलम घिस्सी बहन को :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया अविनाश भाई
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है अन्ना भाई जिंदाबाद .....ब्लॉगिंग जिंदाबाद
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया बहुत बढिया बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया........
जवाब देंहटाएंखासी कविता है । मज़ा आ गया ।
जवाब देंहटाएंहमें भी बतलाते तो हम भी होते साथ
जवाब देंहटाएंचाय-समोसा-खीर संग हम भी भरते राग
http://padmsingh.wordpress.com/2011/12/27/%e0%a4%9c%e0%a4%ac-%e0%a4%85%e0%a4%b2%e0%a4%ac%e0%a5%87%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%96%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a5%87%e0%a4%b6%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a5%87/
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
वाह जी वाह यह भी खूब रही
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-741:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
प्यारे ब्लॉगर साथियो
जवाब देंहटाएंसादर दोहस्ते!
आप सभी के टिप्पणी रुपी स्नेह के लिए आभार...
sachchee me hame bhi batate, to hathiya hi lete kuchh samose aur ek cup chai:))
जवाब देंहटाएंसुमित जी ,
जवाब देंहटाएंआप कहानियां तो अच्छी बनाते ही हैं,कबिताई भी मजे की कर लेते हैं....अच्छे दोहे बन पड़े हैं.
बहुत बढ़िया लगा सबसे मिलकर....अविनाश जी का आभार ,जो इतनी देर तक हम सभी का भार सहा !
संतोष त्रिवेदी जी आप सभी से मिल कर अच्छा लगा उम्मीद है कि यूं ही मिलते रहेंगे...
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
जवाब देंहटाएंशुक्रिया पाबला जी...
जवाब देंहटाएंवाह सुमित भाई दोहे अच्छे बन पड़े हैं.
जवाब देंहटाएंवाह-वाह बड़े भैया
जवाब देंहटाएं