संत नगर में हुई चिट्ठाकारों की भीड़ : आज कलम घिस्‍सी का चिट्ठाजगत में पदार्पण हुआ है

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  • Sumit Pratap Singh
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  • संत नगर में भई रे, ब्लॉगरन की भीर (भीड़)
    चले समोसे, ढोकला, मिल ना पाई खीर

    बैठे-बैठे   देखिये, एक  अजब   ही  सीन
    पद्म जी कोने में जा, लें शरबत, नमकीन


    बात में सब उलझ गये, फिर भी हुई न देर
    इंदु  पुरी  को  फोन  पर,  बेटी   मारे  टेर

    पद्म सिंह के हाथ से, छूटा न था लैपटॉप
    अन्ना  चाचू  फोन से, करन लगे जी टॉक 


    संतोष जी और अपन, लगे पियन फिर चाय
    सब बोले तब जोर से, एक मिलन हो जाय 

    चर्चा फिर होने लगी, जोर लगा के खूब
    जगी नई संभावना, उगी प्रेम की दूब


    रिश्ता बना एक नया, अच्छा कितना नैट 
    सबने यह वादा किया, रोज़ करेंगे चैट

    फेसबुक  या  गूगल  पर,  होगी  सबसे बात
    चलो  ख़तम होती यहीं, आज की मुलाक़ात...





    प्यारे चिट्ठाकार साथियो अपन थोड़ी बहुत कविताबाजी भी  कर लेते हैं.
    पढ़ना हो तो पधारें http://sumit-ke-tadke.blogspot.com/ पर...

    एक नया हिंदी चिट्ठा : पधारिए इस पर भी साथियो
    तुम्‍हारे हवाले चिट्ठावतन बिना वेतन के ही  साथियो
    नमस्‍ते मैं हूं कलम घिस्‍सी, चाहे मैंने पैंसिल घिस दी है... 

    29 टिप्‍पणियां:

    1. बढिया मुलाकात रही
      अन्ना भाई जिन्दाबाद

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    2. वाह ये मुलाकात तो बहुत रोचक रही…………और अन्दाज़ भी बहुत बढिया रहा।

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    3. वाह - वाह .. अत्यंत आवश्यक था यह कार्य.
      अविनाश जी के शीघ्र स्वास्थ्यलाभ के लिये कामना है. आप अपनी पुरे उर्जा के साथ हमारे साथ शामिल हों, इसका बेसब्री से इन्तेज़ार है.

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    4. आपके चिट्ठाकार-मिलन के समाचार पढ़ कर ही हम कल्पित स्वप्न देख खुश हो लेते हैं... तन से तो हाजिर नहीं हो पाते, मन ही मन मिल लेते हैं...

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    5. वाह वाह.... आपने तो कच्चा चिट्ठा रख दिया पक्के अंदाज़ मे .... भाई समोसे ढोकलों के साथ शिकंजी और नमकीन बिस्कित भी तो था... उनके साथ अन्याय क्यों :)

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    6. कलम घिस्सी को बहुत बहुत बधाई... बस एक आगाह कर देना चाहता हूँ॥ कलम ही घिसे दिमाग न घिसे नहीं तो खामखा घिस जाएगा :) बहुत बहुत स्नेह और शुभ कामनाएँ कलम घिस्सी बहन को :)

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    7. वाह क्या बात है अन्ना भाई जिंदाबाद .....ब्लॉगिंग जिंदाबाद

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    8. बहुत बढिया बहुत बढिया बहुत बढिया

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    9. खासी कविता है । मज़ा आ गया ।

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    10. हमें भी बतलाते तो हम भी होते साथ
      चाय-समोसा-खीर संग हम भी भरते राग

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    11. http://padmsingh.wordpress.com/2011/12/27/%e0%a4%9c%e0%a4%ac-%e0%a4%85%e0%a4%b2%e0%a4%ac%e0%a5%87%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%96%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a5%87%e0%a4%b6%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a5%87/

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    12. वाह! बहुत बढ़िया...
      सादर बधाई...

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    13. वाह जी वाह यह भी खूब रही

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    14. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
      कृपया पधारें
      चर्चा मंच-741:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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    15. प्यारे ब्लॉगर साथियो
      सादर दोहस्ते!
      आप सभी के टिप्पणी रुपी स्नेह के लिए आभार...

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    16. सुमित जी ,
      आप कहानियां तो अच्छी बनाते ही हैं,कबिताई भी मजे की कर लेते हैं....अच्छे दोहे बन पड़े हैं.

      बहुत बढ़िया लगा सबसे मिलकर....अविनाश जी का आभार ,जो इतनी देर तक हम सभी का भार सहा !

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    17. संतोष त्रिवेदी जी आप सभी से मिल कर अच्छा लगा उम्मीद है कि यूं ही मिलते रहेंगे...

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    18. वाह सुमित भाई दोहे अच्छे बन पड़े हैं.

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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