यदि आप इस प्रश्न का उत्तर 'हां' में देना चाहते हैं तो सबसे पहले इन दोनों एग्रीगेटरों में से एक पर अपनी पूरी सहमति दीजिए और आप शनिवार 24 दिसम्बर 2011 को अंतरराष्ट्रीय सांपला चिट्ठा संगोष्ठी में शिरकत कर रहे हैं तो इस मुद्दे पर पूरी गंभीरता से विचार विमर्श कीजिए और एक नेक राह निकालिये।
आप परिचित ही हैं कि इस चिट्ठा संगोष्ठी में चिट्ठा जगत के बेताज बादशाह शामिल हो रहे हैं। जिनमें अलबेला खत्री, राज भाटिया, ललित शर्मा, संगीता पुरी, अन्तर सोहिल, राजीव तनेजा, रूपचंद शास्त्री, दिनेश राय द्विवेदी, योगेन्द्र मौद्गिल, वीरु भाई, शाहनवाज, खुशदीप सहगल और सतीश सक्सेना जी इत्यादि प्रमुख हैं। इसलिए कोई वजह नहीं बनती कि संगोष्ठी में चिट्ठा जगत के उन्वान के लिए फैसला लिया जाए और उस पर अमल करने में कोई कठिनाई हो।
और कोई निर्णय हो, न हो, कोई बात हो, न हो लेकिन इस संबंध में लिए गए फैसले के बहुत ही दूरगामी परिणाम सामने आयेंगे। इसलिए संगोष्ठी में भाग लेने वाले चिट्ठाकार इस अवसर को मत गंवाइयेगा क्योंकि इस तरह सबके मिल बैठने और फैसले लेने के मौके बहुत कम ही आते हैं। मेरी इस संबंध में लिए गए सभी प्रकार के निर्णय में सहमति समझी जाए।
एक बहुत ही अच्छी खबर का हिन्दी चिट्ठाजगत इंतजार कर रहा है। उसे निराश मत कीजिएगा अलबेला खत्री और टीम जी।
सर्व-प्रथम किसी के कुछ करने-कहने से कुछ नहीं होने वाला. संगोस्थियाँ मंच हथियाने , अपना बाबागिरी दिखने और निरर्थक होती है.
जवाब देंहटाएंhttp://www.blogprahari.com को देखें. मुझे नहीं लगता ..न ही कोई यहाँ उल्लेख कर सकता है कि यह किसी भी तरह से पिछले दोनो एग्रीगेटर्स से कम है.
जिस तरह कुछ विशेष लोग हमारे प्रयास को नज़रअंदाज करते रहे हैं, उसी तरह आप लोगों के प्रयास को नज़रअंदाज किया जाएगा. स्थिति संतोषप्रद नहीं है. किसी तरह के सामूहिक कार्यशैली तलाश करने में अपना और अन्य का समय नहीं बर्बाद करें.
मैं साथ हूं भई.
जवाब देंहटाएंकिसके साथ काजल जी, बंद करने वालों के या दोबारा से शुरू करने वालों के साथ ?
जवाब देंहटाएंहिन्दी चिट्ठाजगत दोबारा से शुरू करने वालों के साथ.nice
जवाब देंहटाएंशुरूआत कराने वालों के साथ हूं, शुभकामनाएं.......
जवाब देंहटाएंहाँ इस विषय में तो मैं आपसे भी की बार बात कर चुका हूँ ....अब कल फिर बात करते हैं क्या हल निकलता है ......!
जवाब देंहटाएंआप परिचित ही हैं कि इस चिट्ठा संगोष्ठी में चिट्ठा जगत के बेताज बादशाह शामिल हो रहे हैं।
जवाब देंहटाएंचिट्ठा जगत के बेताज बादशाह
oh yae bhi category haen bloggers ki pataa nahin thaa kyaa kyaa bhrm haen !!!
bahut sahi baat hai, jaroor shuru ho
जवाब देंहटाएंरचना जी, मतलब जो कभी ताजमहल नहीं गए, जिनके स्वामित्व में ताजमहल नहीं है, और वे भी जिन्होंने ताज नहीं पहन रखा है पर चिट्ठाकारों के मन रूपी मंदिर पर कब्जा जमा रखा है। जल्दी ही चिट्ठाकार एक मंदिर भी बनाने वाले हैं, जिसका धर्म चिट्ठा होगा, कच्चा नहीं बिल्कुल मजबूत और पक्का।
जवाब देंहटाएंजिसे आप भ्रम मान रही हैं, उसी में तो असली दम है।
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-737:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
जय हो जय हो जय हो…………हिंदी ब्लोगिंग की जय हो :)))))
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में हर सकारात्मक पहल का स्वागत होना चाहिए।
जवाब देंहटाएंजी जरुर चिट्ठाजगत को दोबारा से सक्रीय करना चाहिये , पर आज तक मेरा मन इस संशय मे है की चिट्ठाजगत को बंद क्यों किया गया था
जवाब देंहटाएंमैं तो सोच रहा हूँ कि येज़दी, राजदूत, लेम्ब्रेटा वालों को फिर से उनका प्रोडक्शन चालू करने के लिए दबाव बनाऊँ
जवाब देंहटाएंदरवाजों में सेल्फ लॉकिंग लैच लॉक के बदले साँकल लगवाने का आंदोलन चलाऊँ
14 इंच वाले सफ़ेद हरे मॉनिटर का प्रयोग करने का हाथ करूँ
किलो भर मिठाई के डब्बे जितनी बड़ी हार्ड डिस्क लगाने की जिद करूँ
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आप ही का आग्रह है
"लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद"
मॉनिटर का प्रयोग करने का हाथ करूँ = मॉनिटर का प्रयोग करने का हठ करूँ
जवाब देंहटाएंसभी आदरणीय पुरोधाओं को ब्लागिंग की दुनिया के नवजात का सादर प्रणाम,...हार्दिक आभार सहित
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