फ्री में मुंबई घूमना चाहते हैं तो फेसबुक से जुड़ जाएं

जी हां
इधर भी 
इधर भी
न जाने किधर जी
उधर जी
हर इधर उधर और इधर को
करते जाएं क्लिक
और नए नए पाएं चित्र
चित्र जो मन को हर्षाएं

हर ओर लग गया है
आंखों में जिगर जी
आंखों से देखें
शब्‍दों में बुनें
फोटो में अपनी
भावनाओं को चुनें

मुंबई घूमना चाहें
नहीं चाहें खर्चा करना
रिजर्वेशन का झंझट है
हवाई जहाजों की आहट है
पैसे से खूब चाहत है
इसे बचाते बचाते
मुंबई घूमना चाहें
तो फेसबुक से जुड़ जाएं

फेसबुक का नहीं
कर रहा हूं विज्ञापन
यह तो है मेरा अपनापन
दिखला रहा हूं
यात्रा में जो जो याद रहा है
मेरे आई फोन को
आप भी देख लें
कमेंट में कविता बुनें
अपनी भावनाओं को बांटे

दुख और अवसाद को
मारें जोरदार चांटे
चिट्ठाकारों से मिलें
मिलें डॉक्‍टर और प्रोफेसरों से
उनके विचारों को जानें
हिंदी का कर रहे हैं वे विकास
उसे मन से पहचानें
अपना भी एक चिट्ठा बना लें

अपनी भी धाक जमा लें
जिससे धड़कने लगें
अंग्रेजी वालों के दिल
वे भी आएं और हिंदी को
अपने गले से लगाएं
सबमें हिंदी और चिट्ठा
का प्रेम भाव जगाएं।

जो हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग पर
तीसरी पुस्‍तक अपनी ई मेल पर
जेपीजी फार्मेट में पाना
और पढ़ना चाहें
वे nukkadh@gmail.com पर
तुरंत संदेश भिजवाएं। 

1 टिप्पणी:

  1. हिंदी का कर रहे हैं वे विकास
    उसे मन से पहचानें
    अपना भी एक चिट्ठा बना लें

    sabko ek chhitta banane ki salah ...good one

    जवाब देंहटाएं

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