मोहन से मिल लें आज राजघाट पर दोपहर बारह बजे दोपहर : पर पहले यह कविता पढ़ लें

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • एक मोहन दास
    दूसरे मन के मोहन

    पहले कर्म चंद
    दूसरे के कर्म मंद

    एक हैं मौन
    एक को किया गया मौन

    एक हैं राष्‍ट्रपिता
    दूसरे ... ?

    राज करने वाले नेता
    एक है आज
    दूसरे थे कल

    पहले हैं जन जन के मन में
    दूसरे संसद के प्रांगण में।





    वैसे तो लाल बहादुर भी हैं
    पर उनकी याद आती नहीं
    लाई जाती है
    ऐसी स्थिति सबके मन में
    न जाने क्‍यों पाई जाती है


    जय जवान
    जय किसान


    पर आज का नारा है 
    जय अमीर
    जय गरीब

    7 टिप्‍पणियां:

    1. लाल बहादुर शास्त्री जी व गाँधी जी को उनकी जन्मशती पर नमन...
      वैसे मनमोहन जी सुबह 7.30 बजे ही राजघाट पर मत्था टेक कर चले गए

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    2. आपका शब्द -विवेक बड़ा भारी है ,मैं आपकी आभारी हूँ !संज्ञा -पद समान होने से नहीं अर्थ से ,कर्म से कोई बड़ा होता है !आज के समय पर सटीक अभिव्यक्ति !बधाई मित्र !!

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    3. मनमोहन व मोहनदास का अच्छा विश्लेशन किया हॆ.दोनों महान आत्माओं को नमन.

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    4. जिन्हें सबसे ज्यादा याद करना चाहिए उन्हें ये देश भूल जाता है और 'थोंपे गए देश के कथित बाप' का गुणगान करता है...

      शास्त्री जी की ईमानदारी की मिसाल भारतीय राजनीति में कहीं नही है.. जब
      उनका देहांत हुआ तो वो अपने सर पर कर्जा छोड़ कर गए थे, कार ऋण.. उस कार का
      कर्जा जो उन्होंने खरीदी थी... वो अपने सच्चाई, आदर्शों और सिद्धांतों के
      लिए जीए और देश के लिए मरे... मैं माँ भारती के इस सपूत को शत शत नमन करता
      हूँ...

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    5. लाल बहादुर शास्त्री जी को नमन १९६४ में दर्शन किये थे शास्त्री नेक ईमानदार सच्चाई ,आदर्श और सिद्धांतों के पुजारी
      गांधी जी के दर्श्न१९४४ में पहली बार किये जो विभाजन के समय ५० करोड की धन राशी पाकिस्थान को दे गए

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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