श्रीलाल शुक्ल जी को समर्पित दैनिक जनसंदेश टाइम्स के 29 अक्टूबर 2011 के अंक में प्रकाशित प्रथम पेज समाचार और विशेष सामग्री
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत
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रवि को रविकर दे सजा, चर्चित चर्चा मंच
जवाब देंहटाएंचाभी लेकर बाचिये, आकर्षक की-बंच ||
रविवार चर्चा-मंच 681
साहित्य का एक और तारा अस्त हुआ राग दरबारी श्री लाल शुक्ल को श्रधांजलि
जवाब देंहटाएंअविनाश जी, 'आओ पी एम बनने की दौड़ लगायें.' लेख पढ़ा, मुझे अच्छा लगा. बधाई. आप इसे वैश्विका में छापने की अनुमति दीजिये तो लखनऊ से प्रकाशित होने वाले वैश्विका के प्रवेषांक में प्रकाशित करूँ और अनेक लोगों तक आपके लेख का आनन्द
जवाब देंहटाएंमिल सके. धन्यवाद. सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' संरक्षक.: 'वैश्विका' ८-मोतीझील, ऐशबाग रोड, लखनऊ- 226004, उत्तर प्रदेश
VO IK SHAKHS KI JISKEE BHARPAAEE MUSHKIL HAI
जवाब देंहटाएंDUNIYA KITNEE SUNDAR USKE JEETE JEE THEE
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BADE SHAUK SE SUN RAHAA THA ZAMAANAA
HAMEE SO GAYE DAASTAAN KAHTE - KAHTE
SHREELAL SHUKL KO BHAAVBHEENEE SHRADDHAJLI .
सुरेश भाई लेख पसंद आया, शुक्रिया। मेरे 'पीएम बनने की दौड़ लगायें' लेख को आप वैश्विका में सचित्र प्रकाशित कर सकते हैं। प्रकाशित होने के बाद प्रति अवश्य भिजवाने का कष्ट कीजिएगा।
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि!
जवाब देंहटाएंश्रीलाल जी ने व्यंग्य और पूरे व्यंग्य जगत को अपनी कलम से जो लालिमा प्रदान की है, उसका कोई सानी नहीं है।
जवाब देंहटाएंSachmuch shrilal ji ka jana sahitya jagat ke liye bahut badi chhati hai.
जवाब देंहटाएंहार्दिक श्रद्धांजलि! प्रिय लेखक की स्मृतियों को नमन! जनसंदेशटाइम्स ने उम्दा काम किया है।
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