अन्ना-बाबा आप हमारे अब अन्नदाता और अन्नबाबा हैं.हम सबके पीछे डंडा लिए काहे फिर रहे हैं.सुनते हैं आप! हमरे लरिका-बच्चन का ख़याल नय है आपका ?दिल्ली में हमने आपकी भरपूर सेवा की और अब आप हमें ही 'रिजेक्ट' करने की फिराक मा लगे हौ !अपने शरीर का भी तौ कुछ ख़याल राखौ !अभी-अभी अनशन ते उठ्यो है औ अब फिर....! हमने फूल और गुलदस्ते यहि नाते थोड़ी ना भेजे थे कि सहिंता के हमें ही मारोगे ! आप तो हमें अपने कारखाने से ही ज़बरिया रिटायर करने मा तुले हौ !
प्लीज़,अन्ना जी थोड़ा तो रहम करो हम पंचन पर !!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत बधाई
बहुत सुन्दर रचना| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब लिखा है
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