हिन्‍दी ब्‍लॉगरों से आप भी तो कुछ कहिए मान्‍यवर पुण्‍य प्रसून वाजपेयी जी

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • टाइम मैनेजमेंट के मसीहा अभी आपसे बहुत कुछ सीखना है  मुझ अनाड़ी को 

    कार्यक्रम मूल रूप से एक प्रकाशन संस्था हिन्दी साहित्य सदन की पचासवीं सालगिरह के स्वर्णिम समारोह के साथ ही साझा किया जाना तय हुआ था । ऐसी क्यों किया गया , किसलिए किया गया ये सब आयोजनकर्ता ही बेहतर बता सकते हैं लेकिन फ़िर भी आसानी से इसे समझा तो जा ही सकता है कि वातानुकूलित हॉल में, बडी बडी हस्तियों , मीडिया , और साहित्य विभूतियों तथा मुख्यमंत्री स्तर के राजनीतिज्ञ द्वारा किसी ऐसे कार्यक्रम में ब्लॉगरों की न सिर्फ़ सहभागिता , बल्कि उनके सम्मान की व्यवस्था करना करवाना ही इसके पीछे उद्देश्य रहा होगा । सवाल उठाने वाले तो आसानी से कह सकते हैं कि जरूरत ही क्या थी . ब्लॉगरों का कार्यक्रम ब्लॉगर्स के बीच भी तो किया जा सकता था और तब फ़िर बडी आसानी से आयोजकों को निशाने पर लिया जाता कि हुंह क्या यही था वो परिकल्पना महोत्सव । खैर इस विषय पर आगे ..तो यही सोच कर मैंने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करना जरूरी समझा ।


    मुख्य द्वार पर ही मुझे ममता की प्रतिमूर्ति सी संगीता स्वरूप जी अपने पतिदेव के साथ मिल गईं , बाल कटे होने के कारण मैं टोपी पहने था और एक बार फ़िर   .... सारी  भ्रांतियों का निवारण करती एक परिपूर्ण पोस्‍ट, यह दिल की बात है, दिल तक उतर जाएगी, इससे बड़ा पुण्‍य क्‍या होगा
     
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