इसमें कोई संदेह नहीं कि विविधता से परिपूर्ण हिन्दी ब्लॉग जगत में बहुत कुछ समाहित हो चुका है जो अन्यत्र नहीं दिखाई देता । हिन्दी के चिट्ठों पर अनेक उपासना-पद्धतियों, पंथों , दर्शनों, लोक भाषाओं , साहित्य और कला के विकास ने हमारी वैचारिक समृद्धि और सम्पन्नता को सुदृढ़ किया है । वैसे तो हम टिप्पणियों के माध्यम से जुड़े हैं एक दूसरे ब्लॉगर के साथ, किन्तु समयाभाव के कारण हम सारे अच्छे ब्लॉग पोस्ट नहीं पढ़ पाते । एक-दूसरे के विचारों को आत्मसात नहीं कर पाते । ऐसे में जरूरी है कि हम उत्सव का माहौल बनाए रखें, पारस्परिक सद्भाव का माहौल बनाए रखें और यदि आपस में मत भिन्नता की स्थिति है भी तो हम मन भिन्नता की स्थिति न आने दें ।
इसी को ध्यान में रखते हुए हिंदी चिट्ठाकारिता के इतिहास में पहली बार विगत वर्ष २०१० में अंतरजाल पर उत्सव की परिकल्पना की गयी, जसकी सफलता और सुखद एहसास से पूरा ब्लॉग जगत वाकिफ है ।
आइये इस वर्ष भी करते हैं कुछ इसी तरह की एक और नायाब पहल यानी ब्लॉगोत्सव-२०११ के दूसरे भाग का शुभारंभ एक नए अंदाज़ में .....परिकल्पना पर
हम सभी को मिलकर प्रेम से लबालब उत्सव मनाना है, क्योंकि आज के भौतिकवादी युग में हमारी पूर्व निश्चित धारणाएं और मान्यताएं हमारी आँखों पर रंगीन चश्मों की मानिंद चढी रहती है और हमें वास्तविक सत्य को अपने ही रंग में देखने के लिए वाध्य करती है । प्रेम के नाम पर हमने इन बेड़ियों को सुन्दर आभूषण की तरह पहन रखा है , जबकि सच्ची मुक्ति के लिए इन बेड़ियों का टूटना नितांत आवश्यक है। यानी हमारा उत्तम मंगल इसी बात में है कि हम समय-समय पर अपने-अपने वाद-विवाद को दरकिनार करते हुए उत्सव मनाएं । यही कारण है इस उत्सव की उद्घोषणा का ...! इस उत्सव में हमारी कोशिश होगी कि हर ब्लॉगर शामिल हो । हम आपके पोस्ट को प्रकाशित ही नहीं करेंगे अपितु विशेषज्ञों से प्राप्त मंतव्य के आधार पर प्रशंसित और पुरस्कृत भी करेंगे ।
हम सभी को मिलकर प्रेम से लबालब उत्सव मनाना है, क्योंकि आज के भौतिकवादी युग में हमारी पूर्व निश्चित धारणाएं और मान्यताएं हमारी आँखों पर रंगीन चश्मों की मानिंद चढी रहती है और हमें वास्तविक सत्य को अपने ही रंग में देखने के लिए वाध्य करती है । प्रेम के नाम पर हमने इन बेड़ियों को सुन्दर आभूषण की तरह पहन रखा है , जबकि सच्ची मुक्ति के लिए इन बेड़ियों का टूटना नितांत आवश्यक है। यानी हमारा उत्तम मंगल इसी बात में है कि हम समय-समय पर अपने-अपने वाद-विवाद को दरकिनार करते हुए उत्सव मनाएं । यही कारण है इस उत्सव की उद्घोषणा का ...! इस उत्सव में हमारी कोशिश होगी कि हर ब्लॉगर शामिल हो । हम आपके पोस्ट को प्रकाशित ही नहीं करेंगे अपितु विशेषज्ञों से प्राप्त मंतव्य के आधार पर प्रशंसित और पुरस्कृत भी करेंगे ।
इस उत्सव के नियम और शर्तें हम शीघ्र परिकल्पना पर जारी करेंगे, किन्तु उससे पहले हम जानना चाहते हैं आपकी राय, कि कैसे किया जाए ब्लॉगोंत्सव २०११ का शुभारंभ नए अंदाज़ में, टिपण्णी बॉक्स खुला है जी भरके कहिये और दीजिये अपने अमूल्य सुझाव ....!
आपके इस कदम का स्वागत करता हूँ!
जवाब देंहटाएंअरे यार रवीन्द्र जी ये बताइये कि आखिर क्या कर गुजरना चाह रहे हो? हा हा।
जवाब देंहटाएंsir ham to bas aapko follow karenge...suggestion dene layak hua nahi!
जवाब देंहटाएंबढ़िया शुरुआत, सुखद भविष्य की कामना।
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