बधाई ? सिर्फ़ इसलिये कि ये अखबार में छ्प गये। अरे भैये अखबार वालों के पास दाम है नहीं लिखवाने के लिये और हम महामूरख मुफतिया लेखक उनको मिल गये हैं सो दे दनादन ले दनादन छापे पड़े हैं। हा हा। जागो मोहन प्यारे।
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बधाई ? सिर्फ़ इसलिये कि ये अखबार में छ्प गये। अरे भैये अखबार वालों के पास दाम है नहीं लिखवाने के लिये और हम महामूरख मुफतिया लेखक उनको मिल गये हैं सो दे दनादन ले दनादन छापे पड़े हैं। हा हा। जागो मोहन प्यारे।
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