होली पर गुब्‍बारे मर रहे हैं और दो अन्‍य प्रकाशित व्‍यंग्‍य

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  • अविनाश वाचस्पति
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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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